नई दिल्ली । सरकार ने आपूर्ति वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों को एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी शीरा दोनों का उपयोग करने की मंजूरी प्रदान कर दी, लेकिन इसके लिए दी जाने वाली चीनी की अधिकतम सीमा 17 लाख टन तय की गई है। सरकार ने यह फैसला एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और चीनी शीरे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के एक सप्ताह बाद किया है। दरअसल उद्योग जगत इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहा था। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा ‎कि आपूर्ति वर्ष 2023-24 नवंबर-अक्टूबर में एथनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी की कुल सीमा के भीतर गन्ने के रस और बी-हैवी शीरे दोनों का उपयोग करने का विकल्प चीनी मिलों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों की एक समिति ने हाल ही में बैठक के दौरान यह निर्णय लिया। मंत्रियों की समिति ने पिछले सप्ताह लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने के बारे में उद्योग जगत से आई मांगों पर गौर करने के बाद यह फैसला किया। सरकार ने सात दिसंबर को एथनॉल उत्पादन में गन्ने के रस और चीनी सिरप के इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। हालांकि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से मिले मौजूदा प्रस्तावों के लिए एथनॉल की आपूर्ति की अनुमति दी थी। चोपड़ा ने कहा‎ ‎कि हम एथनॉल बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले गन्ने के रस और बी-हैवी शीरे के अनुपात पर निर्णय लेने के तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चालू आपूर्ति वर्ष में गन्ने के रस से पहले ही कुछ एथनॉल बनाया जा चुका है। खाद्य मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पिछला आदेश जारी करने से पहले गन्ने के रस से लगभग छह लाख टन एथनॉल बनाया जा चुका था। सरकार का अनुमान है कि चीनी सत्र 2023-24 में देश का चीनी उत्पादन घटकर 3.2-3.3 करोड़ टन रह जाएगा, जबकि पिछले पेराई सत्र में यह 3.7 करोड़ टन से अधिक रहा था।