जबलपुर
नरवाई प्रबंधन पर जागरूकता शिविर का आयोजन संपन्न
15 May, 2024 09:21 PM IST | INDIATV18.COM
दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के निर्देशन पर जिले में नरवाई प्रबंधन का प्रशिक्षण एवं मशीनों का प्रदर्शन लगातार किया जा रहा है, नरवाई जलाने की प्रथा को हतोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है। इस संबंध में कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट दमोह के द्वारा जारी दण्डप्रक्रिया संहिता के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश भी जारी किया गया हैं। नरवाई प्रबंधन एवं प्रशिक्षण आयोजित होने से किसान वर्ग में जागरूकता आई है और भूसा बनाने की ओर अग्रसर हो रहे है।
सहायक संचालक कृषि एस.एल. कुर्मी ने बताया शिविरों का आयोजन लगातार प्रत्येक विकासखण्ड में किया जा रहा है। यह शिविर दमोह विकासखण्ड से प्रारंभ किये गये थे। आज छठवें शिविर का आयोजन जबेरा विकासखण्ड के ग्राम सिग्रामपुर में किया गया, जिसमें कृषकों को नरवाई प्रबंधन का प्रशिक्षण एवं मशीनों का प्रदर्शन किया गया। शिविरों मे कृषकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा नरवाई जलाने की प्रथा को हतोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है।
उन्होने बताया नरवाई जलाने वाले स्थल एवं नरवाई न जलाने वाले स्थल के पृथक-पृथक सेम्पल लिये गये जिनके परीक्षण में पाया गया नरवाई जलाने वाले स्थल से नरवाई न जलाये जाने वाले स्थल की मिट्टी में पोषक तत्व अधिक पाये गये। इससे स्पष्ट हुआ है कि यदि हम नरवाई में आग लगाते है तो भूमि की उर्वरा शक्ति एवं पोषक तत्वों को हानि होती है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ बी.एल. साहू ने बताया कृषक बंधु फसल अवशेष/नरवाई को खेत में जला देते हैं जिससे मृदा में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म पोषक तत्व एवं जैविक कार्बन जल कर नष्ट हो जाता है, जिससे मृदा सख्त एवं कठोर तथा बंजर हो जाती है तथा फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट एवं बीमारियो एवं खरपतवारों की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जाती है। जिससे फसलोत्पादन में कमी एवं लगातार जल स्तर मे गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कृषक बंधुओं से कहा नरवाई में आग न लगाये उसके स्थान पर वैकल्पिक विधियां जैसे- बंडल बनाना, स्ट्रारीपर से भूसा बनना, जैविक खाद बनाना एवं फसल अवशेष का उपयोग अच्छादन के रूप में किया जा सकता है।
सहायक संचालक कृषि ने कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट दमोह के द्वारा जारी दण्डप्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत जारी प्रतिबंधात्मक आदेश के बारे में कृषकों को बताया । उन्होंने कहा यदि कृषक बंधु नरवाई या फसल अवशेष जलाते है तो निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नेाटिफिकेशन प्रावधानानुसार पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि देनी होगी।
कार्यक्रम में सुश्री शहला नाज कुरैशी कृषि अभियांत्रिकी ने ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल के माध्यम से अनुदान पर कृषि यंत्र खरीदने की जानकारी दी। उन्होंने बताया नरवाई प्रबंधन के लिये विभिन्न कृषि यंत्रों जैसे प्लाऊ, हेप्पी् सीडर, स्ट्रा रीपर, श्रेडर, बेलर, रीपर कम बाईंडर, सुपर सीडर एवं जीरो टिलेज सीड ड्रिल पद्धति का उपयोग कर नरवाई को बिना जलाये प्रबंधन किया जा सकता है। शिविर में कस्टम हायरिंग योजना के बारे में जानकारी दी गई। श्री दीपक शुक्ला ने नरवाई प्रबंधन मशीनों की तकनीकी जानकारी तथा प्रदर्शन कराया गया।
वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी पटेरा एम.एल. गहरवार ने किसानों को एम.पी. किसान एप पर पंजीयन के बारे में अवगत कराया । कृषकों ने नरवाई न जलाने की शपथ ली। इस अवसर पर नरवाई प्रबंधन हेतु अत्याधुनिक मशीनों (चौपर, रेकर एवं बेलर) के द्वारा नरवाई के बंडल बनाने का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से बी.टी.एम. (आत्मा ) श्री संजय रोहित, श्री संजय उपाध्याय (कृषि अभियांत्रिकी), समस्त कृषि विस्तार अधिकारी जबेरा, नीति आयोग आईटीसी मिशन सुनहरा कल टीम के साथ-साथ कृषकों की उपस्थिति रही।
नरवाई को अपनी आय का साधन बनायें-कलेक्टर श्री कोचर
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15 May, 2024 09:15 PM IST | INDIATV18.COM
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15 May, 2024 09:08 PM IST | INDIATV18.COM
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15 May, 2024 09:05 PM IST | INDIATV18.COM
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14 May, 2024 09:47 PM IST | INDIATV18.COM
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14 May, 2024 09:45 PM IST | INDIATV18.COM
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गेंहू उपार्जन की राजस्व अधिकारी कर रहे हैं सतत निगरानी
14 May, 2024 09:36 PM IST | INDIATV18.COM
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14 May, 2024 09:34 PM IST | INDIATV18.COM
सतना /शासन द्वारा गेहूं उपार्जन की अंतिम तिथि 20 मई निर्धारित की गई है। खरीदी के अंतिम दिनों में किसी प्रकार की गड़बड़ी और अनियमितता नहीं हो इसके लिये अधिकारियों...
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14 May, 2024 09:28 PM IST | INDIATV18.COM
नरसिंहपुर l कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम 2024- 25 के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर में जैविक उत्पाद प्रशिक्षण के लिए 17 मई तक आवेदन आमंत्रित किये गये हैं। इसके लिए...
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14 May, 2024 09:24 PM IST | INDIATV18.COM
जबलपुर जिले में ग्रीष्म कालीन मूंग और उड़द के बढ़ते रकबे को देखते हुये इन फसलों को कीट-व्याधि से बचाने के उपाय किसानों को सुझाये गये हैं । किसान कल्याण...
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14 May, 2024 09:21 PM IST | INDIATV18.COM
जबलपुर l खरीफ सीजन में किसानों को अच्छी गुणवत्ता की कृषि आदान सामग्री उचित दरों पर उपलब्ध कराने के लिये कृषि अधिकारियों ने मंगलवार को पाटन विकासखंड में कई आदान...
नरवाई प्रबंधन का प्रशिक्षण एवं मशीनों का हुआ प्रदर्शन कृषकों में देखा गया उत्साह
13 May, 2024 09:11 PM IST | INDIATV18.COM
दमोहl कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर द्वारा दिये गये निर्देशों के तहत नरवाई प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन प्रत्येक विकासखण्डों में किया जा रहा हैं। 06 मई से यह शिविर दमोह विकासखण्ड से प्रारंभ किये गये थे। आज पांचवे शिविर का आयोजन पटेरा विकासखण्ड के ग्राम देवरी रतन में किया गया, जिसमें कृषकों को नरवाई प्रबंधन प्रशिक्षण एवं मशीनों का प्रदर्शन किया गया। शिविर मे कृषकों में भारी उत्साह देखा गया।
इस सबंध में उप संचालक कृषि श्री सिंह ने बताया कृषि विभाग के अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा नरवाई जलाने की प्रथा को हतोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है। उन्होने बताया कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री कोचर द्वारा जारी दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत जारी प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा यदि कृषक बंधु नरवाई या फसल अवशेष जलाते है तो निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधानानुसार पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि देय होगी। कृषक जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है उन्हें 2500 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा। कृषक जिनके पास 02 एकड़ से अधिक एवं 05 एकड़ से कम जमीन है उन्हें 5000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा। कृषक जिनके पास 05 एकड़ से अधिक जमीन है उन्हें 15000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।
परियोजना संचालक आत्मा मुकेश कुमार प्रजापति ने कहा कृषक बंधु प्राकृतिक खेती करें जिसमें एक देशी गाय के गोबर एवं गौ मूत्र का उपयोग करके 30 एकड़ की खेती जीवामृत एवं घन जीवामृत बना कर उपयोग कर शून्य बजट में प्राकृतिक खेती कर सकते हैं । उन्होंने वेस्ट डिकम्पोजर का उपयोग कर नरवाई प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप से बताया।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी.एल.साहू ने कहा कृषक बंधु फसल अवशेष/नरवाई को खेत में जला देते हैं जिससे मृदा में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म पोषक तत्व एवं जैविक कार्बन जलकर नष्ट हो जाते है, जिससे मृदा सख्त एवं कठोर तथा बंजर हो जाती है तथा फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट एवं बीमारियो एवं खरपतवारों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है, जिससे फसलोत्पादन में कमी एवं लगातार जल स्तर मे गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कृषक बंधु नरवाई में आग न लगाये उसके स्थान पर वैकल्पिक विधियां जैसे- बंडल बनाना, स्ट्रारीपर से भूसा बनाना, जैविक खाद बनाना एवं फसल अवशेष का उपयोग अच्छादन के रूप में किया जा सकता है।
सहायक संचालक कृषि जे.एल. प्रजापति ने कहा समस्याओं से निजात पाने के लिये ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई किसानों के लिये एक वरदान के रुप में साबित हो सकती है। मई-जून के माह में मिट्टी पलटने बाले हल जैसे मोल्ड़ बोर्ड प्लाऊ, टर्न रेस्ट प्लाऊ या रिर्वस विल मोल्ड़ बोर्ड प्लाऊ के द्वारा तीन वर्ष मे कम से कम एक बार 20 से.मी. से अधिक गहरी ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए। गहरी जुताई से भूमि की ऊपरी कठोर परत टूट जाती है जिससे मृदा में वर्षा जल धीरे-धीरे रिस-रिस कर जमीन के अंदर जाता है तथा वर्षा जल का रुकाव जमीन में अत्यधिक होने के कारण मृदा में जल धारण क्षमता एवं जल स्तर में वृद्धि हो जाती है। फसल अवशेष के मृदा में दब जाने से विघटित होकर जैविक खाद तथा काले रंग का ह्यूमस बनाते हैं जो मृदा की भौतिक संरचना में सुधार करता है, वह मृदा में सूक्ष्म जीवों एवं पौधों के लिए अनुकूल परिस्थिति पैदा करता है एवं कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि तथा जैविक खाद तैयार हो जाती है।
कार्यक्रम में कृषि अभियांत्रिकी शहला नाज कुरैशी ने ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल के माध्यम से अनुदान पर कृषि यंत्र खरीदने की जानकारी दी तथा नरवाई प्रबंधन के लिये विभिन्न कृषि यंत्रों जैसे प्लाऊ, हेप्पी सीडर, स्ट्रारीपर, श्रेडर, बेलर, रीपर कम बाईंडर, सुपर सीडर एवं जीरो टिलेज सीड ड्रिल पद्धति का उपयोग कर नरवाई को बिना जलाये प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने कस्टम हायरिंग योजना के बारे में जानकारी दी।
कृषक धमेन्द्र सिंह परिहार ने गेंहू की फसल कटने के बाद नरवाई में बिना आग लगाये खड़ी नरवाई में ही बिना किसी जुताई के सीधे मूंग की बुबाई सुपर सीडर से कराई गई, जिनके खेत का निरीक्षण किया गया। फसल की स्थिति सामान्य है और नरवाई विघटित होकर जैविक खाद का रूप ले चुकी है तथा मल्चिंग का भी कार्य कर रहे है। कृषक द्वारा बताया गया कि सुपर सीडर से बोनी करने से पानी की भी बचत होती है तथा खाद भी कम डालना पड़ता है एवं जुताई भी खेत की नहीं करनी पड़ती है जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है तथा उत्पादन भी अच्छा होता है। कृषक द्वारा सुपर सीडर कृषि अभियांत्रिकी से अनुदान प्राप्त किया है। मशीन की कुल लागत 2 लाख 80 हजार है तथा इन्हें 1 लाख 5 हजार का अनुदान कृषि अभियांत्रिकी द्वारा दिया गया है।
कृषकों द्वारा नरवाई न जलाने की शपथ ली गई एवं प्रशिक्षण शिविर में नरवाई प्रबंधन हेतु अत्याधुनिक मशीनों (चौपर, रेकर एवं बेलर) के द्वारा नरवाई के बंडल बनाने का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से बी.टी.एम. (आत्मार) शैलेन्द्र पौराणिक, कृषि अभियांत्रिकी संजय उपाध्याय, समस्त कृषि विस्तार अधिकारी पटेरा के साथ-साथ कृषकों की उपस्थिति रहीं।
कृषि उत्पादन आयुक्त 16 मई को करेंगे खरीफ फसल तैयारी की समीक्षा
13 May, 2024 09:06 PM IST | INDIATV18.COM
सतना /खरीफ फसल तैयारी की संभागीय समीक्षा बैठक 16 मई को आयोजित की जा रही है। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त खरीफ फसल तैयारी की जिलेवार समीक्षा करेंगे। बैठक में...
कलेक्टर की उपस्थिति में उप संचालक इफको द्वारा भूमिजा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी चाँद को ड्रोन प्रदाय
13 May, 2024 09:01 PM IST | INDIATV18.COM
छिंदवाड़ा l कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह की उपस्थिति में आज कलेक्टर कार्यालय के प्रांगण में उप संचालक इफको द्वारा भूमिजा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी चाँद को ड्रोन प्रदाय किया गया।
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