केंद्रीय विज्ञान केंद्र में फसल विविधिकरण पर प्रशिक्षण

बालाघाट l केवीके में फसल विविधिकरण पर प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र बड़गांव 18-19 जनवरी 2024 को जिले में फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिये कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के तत्वाधान में किसानों के लिये दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ के द्वारा प्रायोजित किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर डॉ. एन.के. बिसेन, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, बालाघाट के अपने उद्बोधन में किसानों को अपने क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार फसलों के चयन की आवश्यकता पर बल दिया एवं धान के साथ खेतों में दूसरी फसलों के उत्पादन के बारे में विस्तार से चर्चा की आपने बताया कि कैसे किसान फसल चक्र अपनाकर अधिक आय प्राप्त कर सकता साथ ही भूमि की उर्वशक्ति को कैसे बढ़ा सकता हैं। उपसंचालक कृषि श्री राजेश खोबरागढ़े ने जिले में कृषि विभाग द्वारा फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के किये जा रहे प्रयासों की जानकारी कृषकों को प्रदान की एवं रागी के बीज की मिनिकिट 40 किसानों को वितरित की गयी। अपने उद्बोधन में श्री खोबरागढ़े ने रागी के उत्पादन, पोषकीय महत्व एवं बाजार मूल्य के बारे में विस्तार से समझाया।कृषि महाविद्यालय जबलपुर के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. एस.बी. अग्रवाल ने जिले की भौगोलिक दशा के आधार पर किसानों को सरसों, अलसी, रमतिल आदि फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के उपायों की जानकारी कृषकों को प्रदान की। फसल विविधिकरण परियोजना की संयोजिका डॉ. नम्रता जैन वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय जबलपुर ने परियोजना के उद्देश्य एवं कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी साझा की एवं किसानों से फसल विविधिकरण के स्थानीय स्तर पर विकल्पों की चर्चा की एवं परियोजना द्वारा मृदा स्वास्थ्य तथा कृषि आय में होने वाले सकारात्मक बदलाव के बारे में जानकारी दी। आपने जानकारी देते हुये बताया कि परियोजना के कृषकों को लगातार 4 वर्षों तक परियोजना के माध्यम से फसल उत्पादन की उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किसानों के खेतों पर किया जायेगा जिसका लाभ बालाघाट जिले के किसानों को मिलेगा एवं फसल विविधिकरण की दिशा में यह कार्य जिले में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर.एल. राऊत ने अपने उद्बोधन में बताया कि विविधिकरण किस प्रकार हमारे कृषकों के लिये लाभप्रद हो सकता हैं एवं विभिन्न फसलों जैसे हल्दी, लहसुन एवं प्याज आदि के द्वारा जिले के कृषक बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं इस दिशा में कृषि विज्ञान केन्द्र कृषकों एवं परियोजना के बीच में सेतु की भांति कार्य करेगा ताकि परियोजना का क्रियान्वयन बेहतर हो सकें।कार्यक्रम में दलहन निदेशालय, भारत सरकार के भोपाल स्थित कार्यालय से पधार वरिष्ठ तकनीकी सहायक डॉ. संदीप सिलावट ने इस परियोजना के पीछे शासन के लक्ष्य की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ. उत्तम बिसेन द्वारा किसानों को कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने की जानकारी दी गयी एवं फसलों में आने वाली समसामयिक समस्याओं के समाधान पर जानकारी प्रदान की गयी। डॉ. धनन्जय कठल, सहायक प्राध्यापक द्वारा फसलों में होने वाली विभिन्न बीमारियों पर चर्चा की गयी एवं निवारण के उपाय बतायें। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एस.आर. धुवारे द्वारा दलहन एवं तिलहनी फसलों के उत्पादन तकनीक की जानकारी प्रदान की गयी। डॉ. रमेश अमूले द्वारा प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से बताया गया तथा केन्द्र की विभिन्न ईकाईयों का भ्रमण कृषकों को कराया गया जिसमें किसानों ने प्राकृतिक खेती अंतर्गत सब्जी उत्पादन एवं मशरूम उत्पादन ईकाई, किचन गार्डन के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रमेश अमूले द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. एस.आर. धुवारे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अन्य स्टॉफ कु. अंजना गुप्ता, श्रीमति अन्नपूर्णा शर्मा एवं दिलीप कुमार शिव ने विशेष सहयोग प्रदान किया।