सिंगरौली / जिला परियोजना प्रबंधक  मंगलेश्वर सिंह ने बताया कि 27 मई से 29 मई तक, आजीविका मिशन सिंगरौली, एग्रीचिकित्सा केंद्र, बिरकुनिया और कृषि विज्ञान केंद्र सिंगरौली के संयुक्त तत्वावधान में “गोबर गैस संयंत्र इकाई का संचालन एवं प्रबंधन“ विषय पर 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला मे ग्राम पंचायत  पिपरा और ग्राम पंचायत गोंदवाली  की लाभार्थी महिलाओं, तथा अन्य ग्राम पंचायतों से समूह की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।विदित हो कि ग्राम पंचायत पिपरा तथा गोंदवाली  में कई महिलाओं के घरों पर स्वच्छता मिशन के अंतर्गत 2 घन मीटर का गोबर गैस संयंत्र स्थापित किया गया है। इससे पहले, महिलाएं तथा ग्रामीण गोबर को खुले वातावरण में इकट्ठा करके उसका एक स्टॉक बना देते थे, जिससे मीथेन गैस निकलती थी। मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है जो कार्बन डाइऑक्साइड से 28 गुना अधिक हमारे वातावरण को गर्म करती है। अब, बायोगैस बनाने से महिलाओं को न केवल खाना बनाने के लिए मुफ्त में ईंधन मिलेगा, बल्कि साथ ही साथ स्लरी खाद भी मिलेगी और साथ ही साथ 50-70 प्रतिशत मीथेन भी वातावरण में कम निकलेगा।कार्यशाला के पहले दिन सावित्री बाई फूले सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्र में सभी महिलाओं को गोबर गैस संयंत्र कैसे काम करता है, और उसका संचालन एवं प्रबंधन कैसे करना है, इसके बारे में बताया गया। तथा दूसरे दिन सभी महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र, देवरा ले जाया गया। वहां डॉ. जय सिंह और डॉ. अखिलेश चौबे के द्वारा  महिलाओ को  गोबर के स्लरी से विभिन्न प्रकार के खाद, बीज उपचार, मावेसियो की देखभाल और सही पोषण देना इत्यादि के बारे में बताया। कार्यक्रम के अंत में महिलाओं को कुछ सब्जियों के बीज और प्राकृतिक खेती की एक पुस्तिका भी दी गई। कार्यशाला का समापन  तीसरे दिन सावित्री बाई फूले सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्र में सभी महिलाओं को जैविक उत्पादों और उनके बाजार के बारे में चर्चा करके किया गाया।कार्यशाला में 32 महिलाओं ने भाग लिया। आजीविका मिशन के  के नेतृत्व में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।इस कार्यशाला का उद्देश्य महिलाओं को गोबर गैस संयंत्रों के कुशल संचालन और प्रबंधन में प्रशिक्षित करना था। इससे महिलाओं को न केवल स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत प्राप्त होगा, बल्कि वे अपनी आजीविका में भी सुधार कर सकेंगी।