नमामि गंगे अभियान को बनाएं जनता का अभियान - मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल l मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि नदियों के पुनर्जीवन, जल संरक्षण और बरसात के पहले नालों की साफ-सफाई जैसे कार्य जनप्रतिनिधियों और आम लोगों के सहयोग से अच्छी सफलता प्राप्त करेंगे। प्रदेश के नगरीय और ग्रामीण इलाकों में 'नमामि गंगे अभियान' को जनता का अभियान बनाने की पूरे प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज मुख्यमंत्री निवास के समत्व भवन में प्रदेश में 5 से 16 जून तक चलने वाले 'नमामि गंगे अभियान' की तैयारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा समीक्षा कर रहे थे। वीसी में जिलों में मौजूद अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी जुड़े।
अभियान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास, वन, उद्यानिकी विभाग, संस्कृति, संबंधित जिला प्रशासन और स्वैच्छिक संगठन शामिल होंगे। राज्य शासन द्वारा विभिन्न स्तरों की समितियां गठित कर अभियान के सघन संचालन के लिए सभी जिलों में विस्तृत निर्देश भी भेजे गए हैं। जिला स्तर पर अभियान के क्रियान्वयन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति कार्य करेगी। शासकीय विभागों ने अभियान की गतिविधियों के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
मालवा अंचल में नदियों के किनारे लगाएं पौधे
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल संरक्षण, पौधरोपण, पुराने नदी, तालाब एवं बावड़ी जैसे जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए सरकार व समाज, दोनों ही स्तर पर कार्य होना चाहिए। पौधरोपण अभियान के लिए भी ऐसी नदियों के किनारे पौधे लगाने का कार्य प्राथमिकता से किया जाए, जो कटाव के कारण अस्तित्व खो रही हैं। ऐसे स्थानों पर पौधरोपण से पौधों को भी पानी मिल सकेगा। उद्यानिकी विभाग द्वारा इसके लिए वृहद स्तर पर कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के मालवा अंचल में जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए इस तरह प्रयास होना चाहिए कि मिट्टी की अधिकता के कारण नदियों के कटाव को रोकने में भी सफलता मिले। क्षेत्र विशेष में कार्य की अलग प्रकृति होती है। इसे ध्यान में रखते हुए कार्य पूर्ण किए जाएं।
बावड़ियां हमारी धरोहर हैं
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्राचीन बावड़ियां हमारी धरोहर हैं। बावड़ियां, कुंओं से इस अर्थ में भिन्न हैं कि वे पेयजल का स्त्रोत होने के साथ ही किसी समय नागरिकों के लिए ग्रीष्मकाल में राहत का माध्यम भी रही हैं। बावड़ियों में जलराशि से मिलने वाली ठंडक नागरिकों को जल महल में विराजमान होने की अनुभूति करवाती थी। प्रदेश के अनेक अंचलों में आज भी ऐसी बावड़ियां विद्यमान हैं। इनके सुधार और स्वच्छता के लिए अभियान के अंतर्गत प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विभिन्न नदियों पर घाट निर्माण का कार्य व्यक्तिगत स्तर पर भी किया जाता है। ऐसे समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी लोगों का सम्मान भी होना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ऐसी ही पर्यावरण प्रेमी महिला का जिक्र किया, जिन्होंने क्षिप्रा नदी के पास अपने ग्राम में जनता की सुविधा के लिए घाट के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग किया।