डिंडौरी l कृषि में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए जुताई, बुवाई, कटाई, भण्डारण एवं विभिन्न कृषि क्रियाओं हेतु आधुनिक कृषियत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। यंत्रीकरण के प्रयोग से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढोत्तरी होती है। इससे कम समय में एवं कम श्रम लागत से खेती अधिक कार्य कुशलता के साथ की जा सकती है। इन यंत्रों का उपयोग बहुत सरल है और फसलों के अवशिष्ट आसानी से नष्ट करने में सहायक है।

       हैप्पी सीडर :- संरक्षित खेती हेतु उपयोगी कृषियंत्र हैप्पी सीडर के माध्यम से धान की कटाई के बाद गेंहूँ तथा अन्य फसलों की नरवाई बिना जलाये सीधी बुआई की जा सकती है। फसल में पानी कग लगता है खरपतवार भी कम होते हैं और उत्पादन अधिक होता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। एक घंटे में 1 एकड़ से ज्यादा कर बुवाई की जा सकती है।

       सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल : जीरो टिल सीड कम फर्टि ड्रिल मशीन की मदद से किसानों को श्रम की बचत होती है। बीज को मिट्टी में निर्धारित गहराई पर बोया जाता है जिससे अंकुरण अधिक होता है। उर्वरक की उचित अनुपात में पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है। कम समय में बुवाई कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

         स्ट्रॉ बेलर :- एक ऐसा कृषि यंत्र है जो पराली को खेतों से इक‌ट्ठा करके छोटे गठ्‌ठे बना देता है। एक घंटे में एक एकड़ खेत से पराली को हटाया जा सकता है। नरवाई के स्थानांतरण, संग्रहण आदि किया जा सकता है।         रोटरी मल्चर : यह यंत्र फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उन्हें खेत में एक समान रूप से फैला देता है। इसका इस्तेमाल गन्ने की फसल के अवशेषों, गेंहूँ और धान के पुआल, ढेंचा, मक्का के डंठल से मल्चिंग के लिए किया जाता है।

         स्ट्रॉ मैनेजमेन्ट सिस्टम : इस यंत्र को कंबाइन हार्वेस्टर में जोड़ा जाता है, यह यंत्र कंबाइन से काटी गई फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके खेतों में बिखेर देता है। इससे फसल अवशेषों को आसानी से खेतों में फैलाकर शीघ्र खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।  

           जीरो टिल सीड डिल : इस यंत्र के द्वारा खेत की तैयारी किये बिना बुवाई की जा सकती है एवं धान की कटाई के तत्काल बाद उपलब्ध नमी का उपयोग करते हुये गेहूँ की बुवाई की जाती है।  

          स्वचलित राईस ट्रान्सप्लान्टर : राईस ट्रान्सप्लाटर 3 हार्स पावर के डीजल इंजन से चलता है। इससे धान का रोपा 8 कतारों में एक साथ लगाया जाता है यह रोपा पॉलिथीन की शीट पर, मिटंटी, गोबर की खाद एवं रेत के मिश्रण को बिछाकर तैयार किया जाता है, जिसे मेट टाईप नर्सरी कहते है। रोग लगभग 20 दिन में तैयार हो जाता है। इससे प्रतिदिन लगभग 2 हेक्टेयर में रोपा लगाया जाता है। ट्रान्सप्लाटर से रोपाई की लागत में लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक की कमी आती है, वही उत्पादकता में 50 से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि प्राप्त होती है।

           रोटावेटर :- रोटावेटर ट्रेक्टर के पी.टी.ओ. से चलने वाला यंत्र हैं, इससे खेत की तैयारी एक ही बार में अच्छी तरह से होती है। विभिन्न अश्वशक्ति के टेक्टरों को ध्यान में रखते हुए रोटावेटर के कई मॉडल उपलब्ध है। इसकी क्षमता 1.30 घंटा प्रति एकड़ है।  

       ग्रेडर :- फसल अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटने में उपयोगी फसल अवशेष प्रबंधन का महत्वपूर्ण यंत्र है। इसे कम्बाईन हारवेस्टर से कटाई के पश्चात बची नरवाई के प्रबंधन हेतु उपयोग किया जाता है।

            पावर टिलर : छोटे, हल्का, शक्तिशाली प्रभावशाली एवं कृषियंत्र जो छोटे खेतों, घसने वाली जमीन और पौधों फसलों के बीच कम जगह में भी बेहतर कार्य परिणाम देता है। हल्का होने के कारण जमीन दबाता नहीं है और यंत्र की संपूर्ण चौड़ाई में एक समान कार्य परिणाम प्राप्त होते है। एमबी, प्लाऊ, रोटावेटर, कल्टीवेटर, हैरो संलग्न कर उत्तम जुताई की सकती है। सीडकम फर्टिलाईजर ड्रिल लगाकर बीज-खाद खेत में बोवनी कर सकते है।

        अतः कृषि विभाग द्वारा कृषकों को इन यंत्रों का उपयोग कर कम समय में अधिक से अधिक उत्पादन करने की सलाह दी जा रही है।