जबलपुर l किसान कल्याण तथा कृषि विभाग ने किसानों को खरपतवार पर नियंत्रण के उपाय सुझाये हैं । किसानों से कहा गया है कि सही समय पर फसलों की बुआई से खरपतवार की वृद्धि को कम किया जा सकता है और इनसे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इसी प्रकार सही समय पर खरपतवार नियंत्रण से खेती की लागत में भी कमी आती है ।

किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के उपसंचालक रवि आम्रवंशी के मुताबिक खरीफ मौसम की शुरुआत के साथ ही जिले में किसानों ने धान, मक्का, सोयाबीन, तिल जैसी खरीफ फसलों की बुबाई प्रारंभ कर दी है । श्री आम्रवंशी ने बताया कि फसलों के साथ बहुत से अवाँछित पौधे भी स्वतः उग आते हैं । इन अवांछनीय पौधों को खरपतवार कहते हैं ।

उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि खरीफ मौसम में खरपतवारों का प्रकोप बहुत अधिक होता है। फसलों की पैदावार में विशेष तौर पर खरपतवार, कीट, रोग आदि अधिक नुकसान पहुँचाते हैं । उन्होंने बताया कि खरपतवारों के प्रकोप से फसल वृद्धि और उपज पर नकरात्मक प्रभाव पडता है और पैदावार में लगभग 10 से 45 प्रतिशत तक कमी आती है ।

खरपतवार फसल के साथ स्थान, हवा, प्रकाश, पानी और भूमि में डाले गये पोषक तत्वों के लिये प्रतिस्पर्धा करते हैं। चूंकि फसलों की अपेक्षा खरपतवार शीघ्र बढ़ने वाले पौधे होते हैं और भूमि से नमी और पोषक तत्वों का शीघ्रता से अवशोषण कर लेते हैं । इसके परिणामस्वरूप फसलों की वृद्धि और विकास अवरूद्ध होता है और उपज में कमी हो जाती है । खरपतवार बहुत से कीट और रोगो को आश्रय भी प्रदान करते हैं जिसके कारण फसलों में कीट और रोग का अधिक आक्रमण होता है।

उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास के अनुसार खरपतवारों को कई तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है । उन्होंने बताया कि फसलों की बुबाई का सही समय चुनने से खरपतवार की वृद्धि को कम किया जा सकता है। इसी प्रकार खेत की मिट्टी को पत्तियों या प्लास्टिक से ढ़कने से भी खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सकता है। फसलों के चक्र को बदलने से भी खरपतवार की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।

इनके अलावा यांत्रिक एवं हाथ की निंदाई से भी खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है । हाथ की निंदाई सबसे पुरानी और सरल विधि है। इसमें किसान अपने हाथों से खरपतवार उखाड़ते हैं । यह विधि छोटे खेतो के लिये उपयुक्त है । बड़े खेतों में ट्रेक्टर या हाथ से चलने वाले उपकरणों का उपयोग करके खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता हैं । फसल और खरपतवार के प्रकार के आधार पर खरपतवारनाशकों का चयन और उनके सही उपयोग से भी खरपतवार पर काबू पाया जा सकता है ।

उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री आम्रवंशी ने बताया कि सही समय पर खरपतवार नियंत्रण से खेती की लागत में कमी आती है, फसलों को नुकसान नहीं होता और उनके उत्पादन में वृद्धि होती है।