जबलपुर l कृषि विभाग द्वारा किसानों को लगातार खेती की आधुनिक तकनीकी को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसी क्रम में कृषि अधिकारियों ने किसानों को डीआरएस विधि से धान की बोनी करने की सलाह दी है और इससे होने वाले फायदे बताये हैं । कृषि अधिकारियों के मुताबिक डीएसआर विधि से धान की बोनी करने से मिट्टी की सरंचना सुधरती है और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है । इस विधि से बुआई करने से श्रम और पानी की बचत भी होती है ।

कृषि अधिकारियों ने आज शनिवार को ग्राम दिघौरा में किसानों के समक्ष कृषक आनंद मोहन पल्हा के खेत में 10 एकड़ में डीएसआर विधि से धान की बोनी भी करवाई । कृषि अधिकारियों में परियोजना संचालक आत्मा डॉ एस के निगम, उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास रवि आम्रवंशी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी एवं कृषि विकास अधिकारी जे पी त्रिपाठी शामिल थे ।

इस मौके पर परियोजना संचालक आत्मा डॉ निगम ने किसानों को बताया कि डीएसआर विधि से धान की बोनी करने से खेत की बिगडती हुई मिटटी की सरंचना को रोका जा सकता है I पारंपरिक विधि से धान का रोपा लगाने के पूर्व खेत में जो मचौआ किया जाता है, उससे खेत की उपरी सतह पर मिटटी की परत बन जाती है । इससे पानी मिटटी की निचली सतह पर नहीं पहुँच पाता और इस कारण पानी का स्तर नीचे जाता है । उन्होंने बताया कि डीएसआर विधि से धान की बोनी करने से खेत की तैयारी में लगने वाले समय की बचत होती है एवं लागत भी कम आती है ।

उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास रवि आम्रवंशी ने किसानों को डीआरएस विधि में धान की बोनी में डबल ब्लाक सीड ड्रिल का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इससे उर्वरक बीज के नीचे जाता है और उर्वरक का पूरा उपयोग होता है।

अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि डीएसआर विधि से बोनी करने से धान का उत्पादन भी अच्छा मिलता है एवं फसल करीब 10 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि डीएसआर विधि से बोनी हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो टिलेज सीड ड्रिल या सामान्य सीड ड्रिल से की जा सकती है।