बालाघाट l किसान अधिक उत्पादन के लिए भूमि में कई तरह के रासायनिक उर्वरको का उपयोग करते हैं। चाहे उस भूमि में उन तत्वों की आवश्यकता हैं या नहीं इसकी जानकारी के अभाव में अधिक मात्रा में उपयोग करने से भूमि को तो नुकसान होता ही हैं। साथ ही इससे लागत भी बढ़ जाती है। अभी हाल ही में कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण शाखा द्वारा जिले की भूमि में मौजूद तत्वों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हुई हैं जो खरीफ़ फसलों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। जिले में वर्ष 2022-23 में 8729 से अधिक मिट्टी के नमूने का आंकलन किया गया। इस वर्ष 644 से अधिक मिट्टी के आंकलन लिए गए है। मिट्टी परीक्षण का कार्य देख रहीं हिना शिववंशी ने बताया कि मिट्टी परीक्षण का आंकलन 3 वर्षो तक के लिए उपयोगी व मान्य रहता है।

                              नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश मध्यम स्तर पर

वर्ष 2022-23 में लिए गए सेम्पल के परीक्षण परिणामों के आधार पर बालाघाट, लालबर्रा, कटंगी, खैरलाँजी, किरनापुर, बैहर, बिरसा, और परस्वडा की भूमि में नाइट्रोजन, फॉसफोरस व पोटाश की मात्रा मध्यम स्तर पर पायी गई। जबकि वारासिवनी व लाँजी की भूमि में नाइट्रोजन व पोटाश मध्यम स्तर पर तथा फॉसफोरस उच्च स्तर पर पाया गया है।मिट्टी परीक्षण शाखा की शिववंशी ने बताया कि वारासिवनी व लाँजी जनपद में फॉसफोरस उच्च स्तर पर पाए जाने से इसका उपयोग कम कर सकते हैं। जैसे-एसएसपी-में 250 से घटाकर 190-200 अथवा डीएपी 65 से 75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर धान कि फसल के लिए उपयोग किया जा सकता हैं।

                              एन पी के मध्यम स्तर वाली भूमि के लिए उर्वरक का उपयोग ऐसे समझे

बालाघाट लालबर्रा कटंगी किरनापुर खैरलाँजी बैहर बिरसा व परसवाड़ा कि भूमि में एन पी के मध्यम स्तर पर पाया गया है। इसलिए इन जनपदो के किसान धान कि फसल के लिए यूरिया 220-230 केजी प्रति हेक्टेयर एस एस पी 250 केजी प्रति है. या डी ए पी 90-100 केजी प्रति है. तथा एम ओ पी 42केजी है. पर्याप्त होगा। इसके अलावा जो किसान जैविकता पर ज्यादा जोर देते है। वे किसान 8-10 केजी गोबर या 3-4 टन केंचूआ खाद प्रति हैं. वर्ष में एक बार प्रयोग करने पर फसलों के लिए उपयोगी हो सकता है। 

                               गहरी जुताई करें तो मिलेगा का अच्छा लाभ

कृषि उपसंचालक श्री राजेश खोब्रागडे ने बताया कि किसानों को वर्ष में एक बार खासकर मानसून से पहले गहरी जुताई करना ही चाहिए। इससे भूमि में कई तरह के लाभ होते है। इस वर्ष नजरी आंकलन के अनुसार 6250 हेक्टेयर में गहरी जुताई की गई है। जबकि जिले का 3 लाख हेक्टयर रकबा है। गहरी जुताई के विषय में कृषि अभियांत्रिकी विभाग के एसडीओ श्री कुलस्ते ने बताया कि जिले के 59 कस्टमर हायरिंग सेंटर से 2756 किसानों ने 10380 हेक्टयर में गहरी जुताई कराई गई है।

                                  ऐसे लिए जाते है मिट्टी के नमूने 

हिना शिववंशी ने बताया कि किसानों की मिट्टी परीक्षण का कोई शुल्क नही लिया जाता है। विभाग किसी एक प्लाट से नमूने लेने के लिए मेड़ छोड़कर 3 से 4 स्थानों से वी शेप में 15 सेमी या 9 इंच का गड्डा करके नमूने लिए जाते है। 500 ग्राम मिट्टी लेते है। जो मिट्टी नमूने के तौर पर ली जाती है। उसमे से कंकड़ और फसलों की जड़े अलग कर ली जाती है। इसके बाद उन स्थानों की मिट्टी को एक टब में लेकर छाँव में साफ भूमि पर सुखाकर व बारीक करके मिक्स कर लेना चाहिए। मिक्स करने के बाद 500 ग्राम मिट्टी टेस्टिंग के लिए उपयोग कर सकते है।