बालाघाट l प्रदेश का गौरव राष्ट्रीय उद्यान कान्हा कोर जोन में आने वाले कुछ गांव वर्ष 1974 में विस्थापित किये गए थे। विस्थापन के बाद वे लोग आसरे सहित कई आधारभूत सुविधाओं से दूर हो गए थे। कई वर्षों तक वे वनीय खाद्य पदार्थो के सहारे दुनिया से कटे रहें। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और उम्मीद नहीं छोड़ी। अब वे आधुनिक कृषि की ओर अग्रसर होने लगे है। इसका एक कारण शासन की योजनाओं की उन तक पहुँच भी है। खासकर वर्ष 2019 के बाद उनमें परिवर्तन देखने में आने लगा है। चिचरंगपुर में 10 वर्ष पहले बिजली पहुँची। वनाधिकार योजना में कृषि के पट्टे, रहने के लिए पीएम आवास और कृषि विभाग से कोदों-कुटकी और उद्यानिकी विभाग से फलोद्यान के साथ ही सब्जियों की खेती के अलावा वन विभाग के बम्बू मिशन से बांस की खेती का अवसर मिल गया है। आइये बात करते है यहाँ की करीब 70 वर्षीय धीमरन बाई की।कोदों-कुटकी के बाद सरसों और अरहर के साथ फलदार खेती मे जुटेधिमरन बाई मार्मिकता से बताती है कि जब विस्थापित हुए तो उनके पास कुछ भी नही था। आसरे की तलाश में यहां- वहां भटकते रहें। असहनीय दर्द के साथ वनों में भोजन के लिए भटके है। वनाधिकार योजना में पट्टे मिल जाने के बाद कोदों-कुटकी से कृषि की शुरुआत की। आज वे अपने पति चरण सिंह बैगा और उनके 4 पुत्र धान, सरसों व तुवर के अलावा उद्यानिकी विभाग की फलोद्यान से आम और सब्जियों की खेती कर रहें है।बंजर जमीन पर बाजरा उगाने से सब्जी तक का सफर गोधर ने तय कियाचिचरंगपुर के 69 वर्षीय गोधर भी विस्थापित हुए थे। उन्होंने बताया कि विस्थापन के बाद बैगाओं ने मिलकर रहने के लिए जंगल में नदी किनारें आ बसें। उन्होंने यहां बंजर जमीन पर बाजरा उगाया। लेकिन जंगली जानवर फसल खराब कर दिया करते थे। मजबूरी में पलायन करना पड़ा। वनाधिकार पट्टा मिल जाने के बाद अब वे यही रहकर सब्जी और आम के पौधें लगाकर खेती कर रहें है। फसल बेंचकर कुछ आर्थिक लाभ भी हो रहा है। मनरेगा में आम और बम्बू मिशन में बांस की खेतीचिचरंगपुर के 14 किसानों को मनरेगा से आम के पौधे बम्बू मिशन में 16 को बांस की खेती करने का अवसर दिया गया। बम्बू मिशन में किसानों को प्रति पौधे के हिसाब से  120 रुपये तीन वर्षों में दिए जाते है। वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रथम वर्ष की प्रथम क़िस्त 36-36 रुपये प्रति पौधा रोपण प्रदान किया गया है। द्वितीय क़िस्त जीवित पौधा होना पर 4 माह बाद 24-24 रुपये प्रति पौधा दी गई। द्वितीय वर्ष में 36 रुपये प्रति पौधा और तृतीय वर्ष में 24-24 रुपये 80 प्रतिशत जीवित होने पर गेप फिलिंग के बाद भी।गॉंव में योजनाओं की पहुंचचिचरंगपुर में पीएम जनमन सर्वे के दौरान 29 परिवार है। इनमें 17 परिवारों के आवास पीएम जनमन में स्वीकृत होकर निर्माणाधीन है। 8 परिवारों के आवास पूर्व में बन चुके है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन सभी को तथा 21 महिलाओं को आहार अनुदान और और 4 को वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त् हो रही है।