उमरिया । नैनो यूरिया (तरल) पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने का उत्तम स्रोत है। पौधों की अच्छी बढ़वार एवं विकास में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है। उल्लेखनीय है कि नैनो यूरिया (तरल) विश्व में विकसित पहला पेटेंटेड नैनो उर्वरक है जिसे इफ्को नैनो बायो टेक्नॉलाजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) कलोल गुजरात द्वारा स्वदेशी तकनीकी द्वारा विकसित किया गया है। यूरिया जैसे पारंपरिक नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक की कटौती नैनो यूरिया द्वारा की जा सकती है।

 

नैनी यूरिया के लाभ I नैनो यूरिया का उपयोग नलजन प्रदाय हेतु सभी तरह की फसलों में कर सकते है। नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ाता है। फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना यूरिया व अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की बचत नैनो यूरिया की एक बोतल (500 मिली लीटर) एक बैग यूरिया (45 किलोग्राम) के बराबर है। फसल उत्पादकत्ता में वृद्धि, किसानो को अधिक आर्थिक लाभ, कृषि उत्पाद की गुणवत्ता व पोषकता में वृद्धि, पर्यावरण को यूरिया उर्वरक के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले कुप्रभाव से बचाता है जिससे मृदा, वायु और जल प्रदूषित होने से बच सके। इससे संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ कृषि के लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी। सुगम, परिवहन एवं भंडारण खर्चा में अत्यधिक कमी, कम पानी की दशा में भी यह अच्छा कार्य करता है। इसमें खास बात है, कि नत्रजन कण पौधे के ऊपर से नीचे फ्लोयम के माध्यम से प्रवाह करते हैं। अतः जमीन में अगर कम पानी है तो भी फसल पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।

 

प्रमुख विशेषताएँ यूरिया में भार के आधार पर नाइट्रोजन की कुल मात्रा 4.0. प्रतिशत है। नैनो एरिया में मौजूद नाइट्रोजन के कणों का आकार 20-50 नैनोमीटर है। नेनो यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन पौधों को सुलभ रूप में मिलती है। जिससे नाइट्रोजन की सक्षम पूर्ति हो पाती है। यह पोधे के अन्दर सिस्टम में जाने के बाद फसल की आवश्यकता के अनुसार नत्रजन प्रदान करता है। नैनो यूरिया उपयोग दर एवं विधि नैनो यूरिया की 2-4 मिली. मात्रा एक लीटर पानी में घोलकर फसल की प्रारम्भिक वृद्धि की अवस्थाओं पर फसल की नाइट्रोजन की आवश्यकता के अनुसार छिड़काव करे। अगर किसान भाई 4 मि.ली. नैनो यूरिया प्रति लीटर पानी में उपयोग कर रहे हैं तो, किसान भाई नैनो यूरिया की बोतल के ढक्कन (25 मि.ली.) से 15 लीटर की टंकी वाले स्पेयर हेतु नैनो यूरिया की 2 ढक्कन पूरा व एक ढक्कन का तिहाई भाग मिलाकर उपयोग कर सकते हैं। एक एकड़ जमीन के लिये 125 लीटर पानी आवश्यक होगा, दो छिडकाव आवश्यक होते है पहला छिडकाव कल्ले / शाखाएँ निकलने के समय (अकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद) तथा दूसरा छिडकाव फूल आने के 07-10 दिन पहले करना चाहिए।

नैनो यूरिया की कार्य विधि पर्णीय छिड़काव के बाद नैनो यूरिया के कण स्टोमेटा या अन्य रिक्त स्थानों के माध्यम से आसानी से पत्तियों में प्रवेश कर जाते हैं और कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। ये कण फ्लोएम के द्वारा बड़ी आसानी से पौधे की आवश्यकता अनुसार अन्य भाग में वितरित हो जाते हैं। पौधे के उपयोग के बाद बची हुई नाइट्रोजन रिक्तिकाओं (Vacuole) में जमा हो जाती है और आवश्यकतानुसार धीरे- धीरे मुक्त होकर पौधे की वृद्धि एवं विकास में योगदान देती है।  नैनो यूरिया प्रयोग के लिए सामान्य सुझाव उपयोग से पहले अच्छी तरह से बोतल को हिलाएं फ्लैट फैन या कट नोजल का उपयोग करें। सुबह या शाम के समय छिड़काव करें जब तेज धूप तेज हवा ओस न हो। यदि नैनो यूरिया के छिड़काव के 12 घंटे के अंदर बारिस हो जाती है तो छिड़काव को दोहराया जाना चाहिये। नैनोयूरिया की उपयोग विधि सरल है। यह प्रयोग करने वाले व्यक्ति, पर्यावरण, वनस्पति एवं मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म एवं अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी सुरक्षित है। यद्यपि नैनो यूरिया पूर्णतः सुरक्षित है, फिर भी सावधानी के लिए फसल पर छिड़काव करते समय मास्क और दस्ताने का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इसका भंडारण नमी रहित ठंडे स्थान पर करें और बच्चों एवं पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखे। बेहतर परिणाम की तारीख से एक वर्ष के अन्दर किया जाना चाहिये के लिये नैनो यूरिया का उपयोग इसके निर्माण I