समन्वित कृषि से ग्राम नर्रई के किसान श्री मनीष शर्मा ने कृषि क्षेत्र में पेश की नई मिसाल

जबलपुर विकासखंड के ग्राम नर्रई निवासी कृषक श्री मनीष शर्मा अरहर एवं पूसा बासमती धान की जैविक पद्धति से खेती कर एक अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। मनीष द्वारा लगभग 5 हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक पद्धति से की जा रही कृषि का निरीक्षण आज शनिवार को सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी रश्मि परसाई एवं क्षेत्र की कृषि विस्तार अधिकारी एकता मिश्रा द्वारा किया गया।
कृषक श्री मनीष शर्मा ने समन्वित कृषि की तर्ज पर एक एकड़ क्षेत्र में अमरूद की थाई पिंक वैरायटी के 600 पौधे भी लगाए हैं, जो पूरी तरह से जैविक खाद के उपयोग से उगाये जा रहे हैं। फलों के आलावा उन्होंने अदरक, बैंगन एवं भिंडी सब्जियों तथा जैविक हल्दी की खेती भी कर रहे हैं। मनीष ने खेत की मेड़ पर सहजन के पेड़ों को लगाया है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की बढोत्तरी हो रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने कृषक श्री शर्मा द्वारा बनाई जैविक खाद का निरीक्षण किया। यह जैविक खाद देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी, धतूरे, नीम और अन्य पेड़ के पत्तों को मिलाकर बनाई गई थी। कृषक ने फसलों को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक की जगह नीम ऑइल का छिड़काव करते हैं। निरीक्षण के दौरान सहायक संचालक श्री आम्रवंशी ने उन्हें एमपीएसओसीए से जैविक प्रमाणीकरण करने के लिए जानकारी से अवगत कराते हुए जैविक प्रमाणीकरण कराने की सलाह दी। जिससे बाज़ार में उत्पाद का अच्छा मूल्य मिल सके। निरीक्षण के दौरान कृषि अधिकारियों द्वारा नीम के पौधे का रोपण किया गया।
धान खराब होने की शिकायत प्राप्त होने के बाद कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्राम परतला निवासी कृषक बेड़ी लाल साहू के खेत का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि धान की फसल में पत्ती मोडक का प्रकोप है, जिसे देखते हुए सहायक संचालक श्री आम्रवंशी ने 7 से 8 दिनों के अंतराल में क्लोरोपाइरीफास एवं साइपरमेथिरिन दवा का 2 मिलीलीटर प्रति लीटर का छिड़काव करने स्प्रे के माध्यम से करने की सलाह दी। कृषि अधिकारियों द्वारा कृषि विभाग के सहयोग से कृषक के खेत में ही बनाए गए बलराम तालाब का निरीक्षण भी किया गया। किसान की शिकायत थी कि बलराम तालाब का पानी पूरी तरह जमीन में सीपेज होकर खत्म हो जाता है। इसकी रोकथाम हेतु अधिकारियों ने किसान को पानी सूखने के उपरांत अपने खेत की अच्छी काली मिट्टी को 8 से 10 ट्रॉली पूरे तालाब की निचली परत पर बिछाकर अच्छे से दबाने की सलाह दी। जिससे कि पानी का रिसाव कम हो सके और बलराम ताल में पानी पर्याप्त मात्रा में पर्याप्त समय तक भंडारित हो सके। इस दौरान क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी चित्रा वहांने भी उपस्थित रही।