कृषि पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के बारे में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. जाटव, डॉ. आई.डी. सिंह और जयपाल छिगारहा तथा बोरलॉग अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के तरफ से डॉ. पंकज कुमार, वैज्ञानिक, राजेश राय, दिवाकर सिंह, ने मिलकर किसानों को नई कृषि तकनीकियों के बारे में प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के मुख्य अतिथि जिला अध्यक्ष भारतीय किसान संघ श्री शिव मोहन गिरी, एवं कोड़िया, हसगोरा, चंदेरी खास एवं पाण्डेर के 45 किसान उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में आगामी रबी में गेहूं की बुवाई की तकनीक पर विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के दौर में खेती को नई विधियों से करने पर किसानों को बताया गया। किसानों को शून्य जुताई या बिना जुताई के बुवाई सीड ड्रिल से बुवाई कैसे करें पर प्रशिक्षण दिया तथा जो कुछ किसान पिछले साल इस तकनीक से बुवाई करके लाभान्वित हुए थे, उनमें संजय सिंह बुंदेला, रतिराम सोर, ग्राम कोडिया एवं सुनील कुशवाहा ग्राम हसगोरा ने अपने अनुभवों साझा किये। किसानों ने बताया कि बिना जुताई के सीधा शून्य जुताई मशीन से एक एकड़ में 40 किलोग्राम बीज का उपयोग करके 20 क्विंटल उपज एक एकड़ में प्राप्त किया। साथ ही 2500-3000 रु जो खर्चा खेत के तैयार करके बुवाई में लगता है जिससे बचत लागत में कमी आई। इस विधि में खेत में खरपतवार भी कम खर्चे पर नियंत्रण होता है। शून्य जुताई विधि से सीधे बुवाई करने पर जड़ों का विकास अच्छा होता है और फसल मार्च अप्रैल में तेज हवा के साथ गिरने से बचती है। सामान्य बुवाई में किसानों द्वारा 15-20 किलो अधिक बीज का उपयोग किया जाता था वह भी बचत में आया। डॉ. प्रजापति ने बताया कि मिट्टी की भौतिक रासायनिक और जैविक दशाओं में सुधार होता है। शून्य जताई आने वाले भविष्य में खेती में अपने से हम उपज, पर्यावरण का संरक्षण आदि कर सकेंगे। डॉ. किरार ने किसानों को रवि में प्रदर्शन हेतु मिट्टी की जांच आवश्यक करने पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शिव मोहन गिरी द्वारा किसानों एवं वैज्ञानिकों द्वारा जलवायु अनुकूल तकनीक पर दी गई। जानकारी पर भरोसा कर उसे प्रदर्शन में अपनाने और अपनी लगत कम कर उत्पादन बढ़ाये। उन्होंने बताया कि बीसा संस्थान जबलपुर की संस्था द्वारा बिना जुताई कर मशीन बुवाई कर प्रदर्शन तकनीक का लाभ उठायें।