रबी फसलों के लिए दिसंबर माह का आवश्यक कृषि परामर्श

डिंडौरी l रबी फसलों की समय पर बुवाई के पश्चात् अधिकतर फसलें अपनी क्रांतिक वृद्धि की अवस्था में होती है। गेंहू इस माह में क्रांतिक चंदेरी जड़ अवस्था में होता है, जिस कारण सिंचाई के लिए प्रबंधन बेहद आवश्यक हो जाता है। सिंचाई प्रबंधन के साथ-साथ पोषक तत्वों पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। अतः कृषको को रबी फसलों हेतु परामर्श दिया गया है।
गेंहू :
यदि गेंहू की बुवाई अब तक न कर सके हो तो इस महीने के पहले पखवाड़े तक अवश्य कर लें। इस समय की बुवाई के लिए पिछेती किस्मों को चयन करें। प्रति हेक्टेयर 125 किलोग्राम बीज प्रयोग करें। बुवाई कतारो में 15-18 सेमी की दूरी पर करें। बुवाई से 30 दिन के अंदर एक बार निंदाई-गुड़ाई कर खरपतवार निकाल दें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत 625 ग्राम प्रति हे. दवा को बुवाई के 35-40 दिन के अंदर एकसार छिड़काव करें। गेंहू के प्रमुख खरपतवार गेंहूसा और जंगली जई की रोकथाम के लिए आइसोप्रोटूरान की 0.75 सक्रिय तत्व 30-35 दिन में या अंकुरण पूर्व पैण्डीमैथेलीन 1.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। पूर्व में बोई गई गेंहू में नाइट्रोजन की शेष मात्रा दें तथा 15-20 दिन की अंतराल से सिंचाई करते रहें।
सरसों :
जो कृषक अभी तक सरसों की बुवाई नहीं कर पायें हैं वे मध्य दिसंबर तक सरसों की बुवाई कर सकते हैं। समय पर बोई गई सरसों में दाने की अवस्था में यदि वर्षा न हो तथा प्रथम पखवाड़े में सिंचाई न की हो तो सिंचाई करें।
मटर :
समय से बोई गई मटर में फूल आने से पहले एक हल्के सिंचाई कर दें तथा तना छेदक की रोकथाम के लिए बुवाई से पूर्व 3 प्रतिशत कार्बोफ्यूरॉन 30 किलोग्राम दवा प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए। फसल में भभूतिया रोग (पत्तियों एवं शाखाओं पर सफेद चूर्ण जैत्ता पदार्थ) के लक्षण देने पर घुलनशील गंधक (सल्फर) या कार्बोन्डाजिम के दो छिड़काव करना चाहिए।
मसूर :
मसूर की पछेती बुवाई इस माह में भी कर सकते है इसके बोने से पहले बीजोपचार अवश्य करें बुवाई कूड़ों में 15-20 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। पूर्व में बोई गई फसल में फूल फल्ली बनते समय सिंचाई करें। सामान्य रबी फसलों में पाले गिरने की संभावना होने पर बचाव हेतु रात के समय हल्की सिंचाई करें सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर व ड्रिप इत्यादि का उपयोग करें जिससे सिंचाई के जल का समुचित उपयोग हो सके। रबी फसलों की पत्तियों पर धब्बे दिखाई देने पर मैंकोजैब 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी फफूंदनाशी का 2 ग्राम या कार्बोन्डाजिम 12 प्रतिशत मैंकोजैब 63 प्रतिशत डब्ल्यू पी फफूंदनाशी के मिश्रण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।