कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के द्वारा आज कृषि महाविद्यालय के छात्रों को गेंहूँ फसल पर बुवाई के 25-30 दिनों में फसल-खरपतवारों की प्रतियोगिता को कम करने के लिए क्रांतिक अवस्था में अन्तः कर्षण क्रिया द्वारा जल, स्थान, पोषक तत्व एवं प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया। अन्तः कर्षण क्रिया अंतर्गत साइकिल हो द्वारा कतारों के बीच में लगे हुए चौड़ी एवं सकरी पत्ती के खरपतवारों को निकाला गया एवं विरलन क्रिया द्वारा फसल सघनता को कम किया गया, जिससे प्रति हेक्टेयर उचित पौध संख्या प्राप्त हो सके।
गेंहूँ की फसल में प्रमुख रूप से बथुआ, खरतुआ, कृष्ण नील, चटरी-मटरी, हिरणखुरी, सतगढ़िया, गेंहूँसा, जंगलीजई, आदि खरपतवारों को विद्यार्थियों ने पहचान कर खेत से निकाला। यदि समय पर गेंहूँ की फसल में खरपतवार नियंत्रण कर लिया जाता है तो उत्पादन 50-60 कु./हे. प्राप्त किया जा सकता है।
इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डॉ. डी.एस. तोमर, डॉ. एम.के. नायक, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार साथ ही वैज्ञानिक डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. सतेन्द्र कुमार, डॉ. एस.के. जाटव एवं जयपाल छिगारहा उपस्थित रहे।