कृषकगण नरवाई प्रबंधन में सुपर सीडर का प्रयोग करें

देवास l उपसंचालक कृषि गोपेश पाठक ने जिले के किसानों से आग्रह किया है कि वे नरवाई न जलाएं। उन्होंने कहा कि मृदा एवं पर्यावरण पर नरवाई जलाने के प्रतिकूल प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए फसल अवशेष प्रबंधन अति आवश्यक है। किसानभाई अपनी सूझबूझ एवं थोड़ी सी मेहनत से स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा आर्थिक लाभ ले सकते हैं। इस संबंध में सुपर सीडर एक उचित माध्यम है। इसका उपयोग कर सकते हैं।
उपसंचालक कृषि ने बताया कि नरवाई प्रबंधन के लिए सुपर सीडर का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सुपर सीडर यह एक मल्टी टास्किंग मशीन है जो कि बुआई, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एक साथ कर देती है। यह मशीन सीड प्लान्टर और रोटरी टिलर का बेहतर काम्बीनेशन है, जो बुआई एवं जमीन की तैयारी एक साथ करती है। सुपर सीडर के इस्तेमाल से पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है, जो पराली को जलाए बिना नष्ट कर देती है।
सुपर सीडर के लाभ
उपसंचालक कृषि ने बताया कि यह मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन में फैली पराली को नष्ट कर देती हैं और एक घंटे में करीब 6 बीघा क्षेत्र में गेहूं की बुआई कर सकती है। सुपर सीडर मशीन धान एवं गेहूं की पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर मिट्टी में मिला देती है, जिससे पराली जलाने की आवश्यकता नहीं होती है व वायु प्रदूषण को भी नियंत्रित करती है। जमीन के पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते हैं साथ ही रासायनिक खाद की आवश्यकता को कम करती है, जिससे किसानों की खेती की लागत भी कम होती है। सुपर सीडर से रबी फसलों की बुआई 15 से 20 दिवस पूर्व संभव है, जिससे रबी सीजन में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस सीडर से की गई गेहूं की कटाई के बाद बिना सिंचाई किए 60 दिनों में तैयार की जाने वाली मूंग की बुआई भी की जा सकती है।
उपसंचालक कृषि ने बताया कि सुपर सीडर यंत्र लगभग 2.70 से 3.40 लाख रुपए की कीमत पर उपलब्ध हैं। मप्र शासन सुपर सीडर की खरीदारी पर किसानों को 40 व 50 फीसदी तक अनुदान मुहैया कराती है। जिन किसानों के पास सुपर सीडर यंत्र है वे उक्त यंत्र को अन्य किसानों को 1200 से 1500 रुपए प्रति एकड़ की दर पर उपलब्ध कराकर आर्थिक लाभ अर्जित कर सकते हैं। अतः किसानभाई इन मशीनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं एवं पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं।
नरवाई जलाने पर कार्रवाई की जाएगी
उपसंचालक कृषि ने बताया कि फसल कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों में आग लगाने (नरवाई जलाने) से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के संबंध में कृषक वर्गों में जागरुकता बढ़ाने हेतु नरवाई जलाने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने एवं निर्देशों का उल्लंघन करने पर आर्थिक दण्ड के रूप में पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि दो एकड़ से कम 2500 रुपए, दो एकड़ से अधिक, 5 एकड़ से कम रुपए 5000 रुपए, पांच एकड़ से अधिक रुपए 15000 रुपए के अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी।