कृषक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

देवास l एसडीएम श्रीमती प्रियंका मिमरोट की अध्यक्षता में किसान संगोष्ठी का आयोजन सोनकच्छ में हुआ। इस दौरान अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री राजेंद्र द्विवेदी, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ए.के. बढ़ाया, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर भार्गव एवं सहायक संचालक कृषि लोकेश गंगराड़े एवं अभियांत्रिकी कृषि विभाग अंशुल कुमार बरोट, किसान संघ पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में कृषकगण, अन्य प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।
संगोष्ठी में एसडीएम श्रीमती मिमरोट ने किसानों से कहा कि वे फसल आने के बाद कृषक भाई नरवाई को जला देते हैं। नरवाई जलाने से उर्वरा क्षमता कम हो जाती है। नरवाई जलाने से भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं जिससे जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है एवं मिट्टी की उत्पादन क्षमता गिर जाती है। भूमि ईंट के समान कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है व फसलें जल्दी सूखती हैं। खेत की मेढ़ पर लगे पेड़ पौधे व कई बार घर, गांव व जंगलों में आग लग जाती है साथ ही जन हानि की आशंका भी बनी रहती है। नरवाई जलाने से जमीन में उपस्थित केंचुए एवं लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इस कारण जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। पर्यावरण प्रदुषित होता है एवं तापमान में बढ़ोतरी होती है। इसलिए मेरा सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि वे अपने खेतों में नरवाई ना जलाएं। सभी कृषकगण नरवाई प्रबंधन के उपाय अपनाएं।
संगोष्ठी में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर भार्गव ने नरवाई जलाने के नुकसान के बारे में एवं उसमें होने वाले पर्यावरण को प्रदूषण के बारे में विस्तार से बताया। अभियांत्रिकी कृषि विभाग अंशुल बारोट ने स्ट्रा रीपर, कम्बाईन हार्वेस्टर, सुपर सीडर, रोटावीटर कृषि यंत्रों के बारे में एवं विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। सहायक संचालक कृषि लोकेश गंगराड़े ने नरवाई जलाने से मिट्टी में होने वाले सूक्ष्म जीव एवं मिट्टी की उर्वरकता के होने नुकसान वाले दुष्परिणामों के बारे में बताएं। कार्यक्रम के अंत में किसान संघ एवं सभी किसानों द्वारा नरवाई ना जलाने की शपथ ली गई।