उसे पद्म पुरस्कार मिल जाता तो देश- दुनिया में थू-थू हो जाती

भोपाल। शेक्सपियर की एक मशहूर लाइन है "नाम में क्या रखा है" उनके इस संवाद से बहुत लोग प्रभावित भी हैं और उन्होंने साबित भी कर दिया है कि नाम में कुछ नहीं रखा है ..उनका काम तो देखिए... दमोह में कैसे एक नरेंद्र यादव ने डॉक्टर एम केम जान लंदन का प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट बनकर सात लोगों को मौत के हवाले कर दिया l जिस मिशन अस्पताल का यह मामला है वह पहले से ही कई विवादों के कारण चर्चित है .. इतना बड़ा कांड होने के बावजूद भी आज तक अस्पताल का लाइसेंस कैंसिल नहीं हुआ है ...?इसे क्या कहेंगे आप ..? इतना ही नहीं यह सब होने के बावजूद भी फर्जी डॉक्टर को भागने का पूरा-पूरा मौका मिला ,यह बात अलग है कि उसने अपना मोबाइल बंद नहीं किया और वह पकड़ में आ गया यदि वह मोबाइल बंद कर गायब हो जाता तो उसे ढूंढना फिर सिस्टम के बस की बात नहीं थी l क्या आपको मालूम है कि 20 फरवरी को इसकी शिकायत हुई थी और FIR दर्ज हुई है - 6 अप्रैल को ऐसा क्यों..? वह भी तब जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग सक्रिय हुआ l कौन राजनेता या प्रशासनिक अफसर था जिसके दबाव में इतना बड़ा फर्जीबाड़ा होने के बावजूद भी FIR दर्ज नहीं हो रही थी..? अस्पताल में अब तक ताला लग जाना था परंतु ऐसा अब तक नहीं हुआ है यह अनुत्तरित प्रश्न है जिसके जवाब की तलाश है जबकि सब कुछ पानी की तरह साफ है लंदन के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट ने खुद ट्वीट कर दमोह के डॉक्टर एन केम जान को फर्जी बता दिया l जिस डॉक्टर का पंजीयन मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में नहीं था उसकी सेवाएं मिशन अस्पताल ने आखिर कैसे ली ..? इस डॉक्टर ने नरसिंहपुर और बुरहानपुर में भी नौकरी के लिए अपना बायोडाटा दिया था परंतु संदेह होने के कारण वहां इनकी सेवाएं नहीं ली गई l नरेंद्र यादव पर समेत मिशन अस्पताल के प्रबंधन पर हत्या का केस दर्ज होना चाहिए परंतु खबर लिखे जाने तक हत्या का केस दर्ज नहीं हुआ है वह भी तब जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्वयं इस मामले को गंभीरता से लिया है और कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है l यह बात सुनकर हाथ पैर कांप जाते हैं कि उसने एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी तक कर डाली l इस डॉक्टर नरेंद्र यादव ने अब तक पूरे कैरियर में किन-किन अस्पतालो में अपनी सेवाएं दी हैं और वहां कितने लोगों की मौत हुई है ,इन सब की जांच किया जाना जरूरी है इसके लिए इस पूरे मामले को सीबीआई को दिया जाना चाहिए l सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश करना चाहिए l इस फर्जी डॉक्टर ने और अस्पताल प्रबंधन ने सिर्फ मरीजों को ही नहीं बल्कि पूरे के पूरे सिस्टम को ही बेवकूफ बनाया है चौंकाने वाली बात तो यह है कि उसने दिल्ली की एक महिला के मार्फत पद्म पुरस्कार के लिए सिफारिश भी करवाई थी इसका मतलब है कि उसने यह पुरस्कार पाने के लिए और भी कई फर्जी शोध और दस्तावेज तैयार किए होंगे यदि उसे पद्म पुरस्कार मिल जाता और उसके बाद में यह है पकड़ में आता तो देश ही नहीं पूरे दुनिया में हमारे सिस्टम पर उंगली उठाती और थू-थू हो जाती l मध्य प्रदेश की धरा पर यह अकेला नहीं है ऐसे कई फर्जी एन केम जान डॉक्टर बनकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं l पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमे डिग्री विदेश की निकली ..., डिग्री किसी और नाम की है और चिकित्सक अस्पताल में किसी और नाम से काम करते पकड़े गए हैं परंतु ऐसे मामलों में राजनैतिक /प्रशासनिक और पैसे के पावर गेम के चलते यह खुलने के पहले ही दबा दिए गए और तो और आवाज उठाने वालों को पूरी ताकत के साथ टारगेट किया गया .. सरकार से यही अपेक्षा है कि पूरे मामले को सीबीआई को देकर इस फर्जी ऐन केम जान के अलावा भी मध्य प्रदेश में जितने ऐसे डॉक्टर काम कर रहे हैंं उन्हें ढूंढ - ढूंढ कर उन पर कार्रवाई की हो सके l सामान्यतया ऐसे मामलों में देखा गया है कि दबाव के चलते सिस्टम की कार्रवाई करने में सांसे फूल जाती हैं l वह कार्रवाई तभी कर पाता है जब मानव अधिकार आयोग , बाल आयोग या फिर महिला आयोग दबाव बनाए l यदि सिस्टम के भरोसे छोड़ दिया जाए तो ऐसे मामलों में थाने में FIR तक दर्ज नहीं होती l