दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

नरसिंहपुर l राज्य शासन की देवारण्य योजना के अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर में किया गया। इस योजना के तहत एक जिला- एक औषधि पादप सहजन अर्थात मुनगा के प्रचार- प्रसार अभिसरण के विभागों की योजना व औषधि पौधे की कृषि संग्रहण, भंडारण प्राथमिक संस्करण विपणन आदि विषयों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिले के 10 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो विकासखंड स्तर पर जाकर विभिन्न एफपीओ एवं किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। यह प्रशिक्षण आयुष विभाग नरसिंहपुर द्वारा मध्य प्रदेश राज्य औषधि पादप बोर्ड के तत्वाधान में दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के विभिन्न विशेषज्ञों ने सहजन की कृषि एवं इसके प्रसंस्करण से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया।
प्रशिक्षण में कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष शर्मा ने सहजन की खेती में आने वाली समस्याओं और उनका निदान के तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा पूर्व में जिले में सहजन की खेती में क्या कमी रह गई थी और उसे किस प्रकार से सुधारा जा सकता था। आज के समय में फसलों में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक कीटनाशक मानव जीवन के लिए किस प्रकार से घातक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी बहुत सी फसलें हैं, जो बिना रासायनिक व कीटनाशक आदि के उपयोग करके भी उगाई जा सकती हैं। इसमें औषधि सहजन एक ऐसी फसल है, जो बिना रासायनिक व कीटनाशक के उगाई जा सकती है। कम पानी में भी यह उग कर अच्छी फसल दे सकती हैं। उन्होंने बताया कि किसान सहजन औषधि पौधे के विभिन्न भाग जैसे फूल, फल, पत्ते को अलग- अलग संग्रह करके इनसे अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं। किसान किस प्रकार से अपनी मौसमी फसलों के साथ- साथ मल्टी लेयर फार्मिंग के द्वारा सहजन औषधि का उत्पादन कर सकता है। उन्नत पैदावार के लिए पीकेएम- 1 व 2 के बीजों का उपयोग कर फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान एफपीओ, फॉर्मर प्रोडक्शन ऑर्गेनाइजेशन जिला वन समिति की योजना को सफल बनाने के लिए सहभागिता के बारे में चर्चा की गई।
जिला आयुष अधिकारी डॉ. सुरत्ना सिंह चौहान ने योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मप्र राज्य औषधि पादप बोर्ड इस योजना के लिए नोडल है। यह दो दिवसीय ट्रेनिंग हैं, जो अगले स्तर पर हर ब्लॉक में आयोजित की जाएगी। स्वसहायता समूहों को एवं वन समितियां को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। जिला परियोजना प्रबंधक आजीविका मिशन श्रीमती मीना परते ने कहा मार्केटिंग का विषय महत्वपूर्ण है। टेक्निकल इश्यूज को सुलझा कर मार्केट की चेन डेवलप की जाए, तभी किसान अच्छी तरह से खेती कर सकते हैं। उद्यानिकी विभाग के एडी श्री दिनेश कुमार ने लघु व उच्च वर्ग के किसानों को मिलने वाली कृषि संबंधी योजनाओं और अनुदान, कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ. एसआर शर्मा ने साइंटिस्ट प्लांट प्रोटेक्शन ने सहजन के पौधे में होने वाली बीमारी एवं उनसे बचाओ के उपायों और एडीए श्रीमती शिल्पी नेमा ने आत्मा परियोजना के बारे में विस्तार से बताया। प्रशिक्षण के दौरान किसानों एवं एजेंसी का एमओयू, मुनगा की खेती में ऐप डेवलप करके किसान रजिस्टर्ड किये जा सकते हैं और खेती मैच्योर होने पर व्यापारी स्वयं उनसे संपर्क कर खरीदी कर सकते हैं आदि विषयों पर सुझाव दिये गये।
प्रशिक्षण के दौरान नोडल देवारण्य योजना डॉ. योगेश राघव, वन समिति के अध्यक्ष श्रीदेवी सिंह, शक्ति पूजा महिला फार्मर एफपीओ के जगदीश मेहरा, कोयावंशी कृषक एफपीओ के श्री संदीप ठाकुर, मणिनागेंद्र सिंह फाउंडेशन एग्रीकल्चरल फार्मर के श्री राजेंद्र सिंह पटेल, कृषक श्री केहर सिंह राजपूत और आयुष विभाग के सभी ब्लॉक नोडल चिकित्सक मौजूद थे।