दुकानदार, ढाबा संचालक, चायवाले, खच्चरवाले आतंकियों का निशाना क्यों नहीं बनें

जम्मू कश्मीर के सुरक्षा से जुड़े सूत्रों की माने तो इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि घाटी और दूसरे क्षेत्रों में आतंकियों के 'स्लीपर सेल' मौजूद हैं। उन्हें कहीं न कहीं, बड़े स्तर पर लोकल स्पोर्ट मिल रही है। चाय बेचने वाले, पंक्चर मेकेनिक, ढाबा संचालक और 'खच्चर-घोड़े व पोटर्स वाले, पहले भी शक के दायरे में रहे हैं, लेकिन ये सब स्थानीय होते हैं, इसलिए सुरक्षा एजेंसियां इनके साथ ज्यादा सख्ती से पेश नहीं आती। घास के मैदानों में भी खाने-पीने की दुकानें हैं। वहां स्थानीय लोगों द्वारा काम धंधा किया जाता है। इन ढाबों के आसपास कई पर्यटक मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि कोई ढाबा संचालक और वहां काम करने वाले, आतंकियों का निशाना नहीं बनें। हमले के काफी देर बाद सुरक्षा बल वहां पहुंचे थे, तब तक सभी आतंकी, जंगलों की तरफ भाग चुके थे।