खंडवा l उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि जिले में डायग्नोेस्टिक टीम द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान मूंग फसल पर येल्लो मोजेक का प्रभाव देखने में आया है। यह वायरस सफ़ेद मक्खी (बेमिसिया टैबैसी जेन) और ग्राफ्टिंग के माध्यम से फैलता है, पीला मौजेक रोग लगने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती है। इसके प्रकोप के कारण पत्तियां खुरदुरी हो जाती है और उन पर सलवटें पड़ने लगती हैं। पीला मोजेक रोग के कारण रोगी पौधे नरम पड़कर सिकुड़ने लग जाते हैं। इस दौरान फसल की पत्तियां गहरा हरा रंग ले लेती हैं और पत्तियों पर भूरे और सलेटी रंग के धब्बे भी पड़ने लगते हैं। मूंग फसल में पीला मोजेक की रोकथाम के लिए प्रारंभिक अवस्था में रोगी पौधों को उखाड़कर खेत से बाहर करना चाहिए। फसल में सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु साइफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 300 ओडी 8.49 + 19.81 प्रतिशत w/w 12 ml प्रति पंप या थियामेथोक्सम 12.6 प्रतिशत + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत zc 7.5 ml प्रति पंप का छिड़काव करें । छिड़काव के 5 दिन बाद 15 पीले कार्ड खेत में लगायें।