श्योपुर l कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री अर्पित वर्मा ने कहा है कि जिले में शासन की मंशानुसार प्राकृतिक खेती के लिए कलस्टर विकसित किये जायें। प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट के तहत जिले में 2 से 3 गांवों को शामिल करते हुए 25 कलस्टर बनाये जाने है, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा संपूर्ण तैयारियां सुनिश्चित की जायें। वे आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में खरीफ फसलों की तैयारियों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

बैठक में उप संचालक कृषि श्री जीके पचौरी, कृषि वैज्ञानिक डॉ कायम सिंह, एसएडीओ श्री अरूण शाक्य, एआरसीएस श्री धु्रव कुमार झारिया, उप संचालक मस्त्य श्री बीपी झसिया, सीसीबी नोडल श्री दिनेश गुप्ता सहित कृषि विज्ञान केन्द्र, उद्यानिकी, पशुपालन आदि विभागो के अधिकारी उपस्थित थे।

कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री अर्पित वर्मा ने निर्देश दिये कि प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट के तहत झांसी में 26 से 28 मई तक होने वाले प्रशिक्षण में कृषि विभाग के अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण हेतु भेजा जायें। उक्त प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार 125 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडा जाना है।

उन्होंने खरीफ फसलों की तैयारियों के संबंध में निर्देश दिये कि समुचित मात्रा में खाद का भण्डारण कर वितरण की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जायें। उन्होने कहा कि किसानों को डीएपी खाद के स्थान पर एनपीके उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जायें। बैठक में बताया गया कि खरीफ के लिए इस वर्ष कुल 1 लाख 74 हजार हेक्टयर रकबा प्रस्तावित किया गया है, जिसमें 88 हजार धान के लिए, 25 हजार बाजरा, 22 हजार तिल की फसल, 8 हजार सोयाबीन फसल, 5 हजार मक्का एवं 4 हजार हेक्टयर रकबा मूंगफली की फसल का अनुमानित है। इस दौरान रबी फसलो की भी समीक्षा की गई। जानकारी दी गई कि इस वर्ष रबी फसलो का रकबा 1 लाख 80 हजार हेक्टयर रहा, जिसमें सबसे ज्यादा गेहूं की फसल का रकबा 1 लाख 33 हजार हेक्टयर रहा है, सरसों का 40 हजार एवं चने का 5 हजार हेक्टयर रकबा रहा। इसके साथ ही मस्त्य पालन विभाग को निर्देश दिये कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत मत्स्य बीज उत्पादन केेन्द्र की स्थापना कराई जायें।

खरीफ फसलो के लिए उर्वरक का पर्याप्त भण्डारण करने के निर्देश

कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री अर्पित वर्मा ने बैठक के दौरान निर्देश दिये कि खरीफ फसलो के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का भण्डारण सुनिश्चित किया जाये तथा आवश्यकता के समय वितरण की सुलभ सुविधा उपलब्ध कराई जायें। उन्होने कहा कि डीएपी के स्थान पर एनपीके के उपयोग को बढाया जायें। बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ फसलो के लिए 23 हजार 500 मैट्रिक टन यूरिया, 7 हजार 500 मैट्रिक टन डीएपी, 7 हजार 500 मैट्रिक टन एनपीके, 5 हजार मैट्रिक टन एसएससी एवं 200 मैट्रिक टन एमओपी की डिमांड भेजी गई है। वर्तमान में 8 हजार 832 मैट्रिक टन यूरिया, 2924 मैट्रिक टन डीएपी, 5151 मैट्रिक टन एनपीके, 2378 मैट्रिक टन एसएससी एवं 61 मैट्रिक टन एमओपी की उपलब्धता है।