हरीश मिश्र 

एक सभ्य समाज का चेहरा उसकी मानवीय संवेदनाओं से निर्मित होता है। जब किसी जनप्रतिनिधि के परिवार में ही अपहरण जैसी घटना घटे और साजिश भी अपनों द्वारा ही रची गई हो, तो यह केवल एक अपराध नहीं रह जाता, बल्कि सामाजिक संबंधों, पारिवारिक भरोसे और कानून व्यवस्था पर गहराई तक चोट करता है।

सिलवानी विधायक के पोते का अपहरण निःसंदेह एक जघन्य कृत्य था, लेकिन इससे भी बड़ा प्रश्न यह है कि अपराध का यह जाल रिश्तों के भीतर कैसे पनपता है। अपहरणकर्ता कोई बाहरी गिरोह नहीं, बल्कि परिवार के ही सदस्य थे, यह तथ्य हमारी सामाजिक बनावट और रिश्तों के मूल्यों पर पुनर्विचार की मांग करता है।

ऐसे संवेदनशील और जटिल मामलों में पुलिस की भूमिका परीक्षा की कसौटी पर होती है। रायसेन पुलिस ने मात्र 21 घंटे में न केवल बच्चे को सकुशल बरामद किया, बल्कि साजिश की परतों को बेधड़क उजागर कर यह सिद्ध कर दिया कि कानून की आंखें चौकस हैं, और उसके हाथों में दम है।

यह सफलता केवल एक अपहरण कहानी सुलझाने भर की नहीं, बल्कि उस भरोसे की पुनर्स्थापना की है जो आमजन अपराध के विरुद्ध तंत्र से करते हैं।

  इस कार्रवाई में शामिल पुलिस जवानों का जनता साधुवाद करती है और अपेक्षा करती है कि अपराध पर अंकुश की यह दृढ़ता एक व्यवस्था में स्थायी आस्था का आधार बने।