बात पुरानी संदर्भ नया - ईमानदारी आज भी जिंदा है

भोपाल l लो जी सुनिए ..माननीय प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम से वापस होने के बाद जब मैं घर आया तो मुझे फोन आया कि मैं ट्रैफिक कांस्टेबल विवेक दुबे बोल रहा हूं ,आपका पर्स चोरी हो गया वह हमें कहीं मिला है तो आप उसे आकर ले लीजिए.... शुरू में तो मुझे लगा कि कहीं यह फर्जी काल तो नहीं है फिर मैंने चेक किया तो सही में मेरा पर्स मेरे पास नहीं था ।आप मेरी लापरवाही देखिए कि लगभग 1 घंटे के बाद भी मुझे पर्स खोने की जानकारी नहीं थी।खैर ट्रैफिक थाने से कंफर्म किया कि विवेक दुबे नाम के कोई कांस्टेबल है ,तो मैंने श्री विवेक दुबे को फोन किया कि और पिपलानी में जाकर अपना पर्स प्राप्त कर लिया ।
आप विश्वास नहीं करेंगे कि मेरे पर्स में सभी कागजात एवं नक़द राशि यथावत रखे हुए थे ।मैंने उनको बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और अपनी ओर कुछ राशि पुरस्कार स्वरूप भेंट देना चाही पर गंज बासौदा निवासी श्री विवेक दुबे जी ने सविनय इंकार कर दिया, निश्चित रूप से आज के समय में इस प्रकार के ईमानदार पुलिस कर्मी को हम बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं और उनकी ईमानदारी को सैल्यूट करते हैं और लायंस क्लब भोपाल की ओर से उन्हें सम्मानित भी करेंगे। आए दिन हम पुलिसकर्मियों द्वारा अवैध वसूली की खबर सुनते हैं और पढ़ते हैं ऐसे अंधेरे में भी कांस्टेबल विवेक दुबे एक उजाले की किरण है l कल ही टीकमगढ़ टी आई पर लोकायुक्त ने तीन लाख की रिश्वत मांगने के कारण भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है l