किसानों को खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाने, बीज उपचार, मिट्टी परीक्षण, जीरों बजट प्राकृतिक खेती अपनाने की दी सलाह

बैतूल कलेक्टर श्री नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी के निर्देशानुसार जिले में विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जा रहा है। कृषि विभाग के उप संचालक श्री शैलेंद्र कुमार बडोनिया ने बताया की विकसित कृषि संकल्प अभियान में 8 जून को प्रथम दल द्वारा विकासखंड बैतूल के ग्राम बारहवी, सेलगांव, रेडवा पंचायत, द्वितीय दल द्वारा विकासखंड प्रभात पट्टन के ग्राम पचधार, साईखेड़ा खुर्द, बीसनूर पंचायत, तृतीय दल द्वारा विकासखंड शाहपुर के ग्राम भयावाड़ी, सीलपटी, धपाडामाल पंचायत में, चतुर्थ दल द्वारा विकासखंड आठनेर के ग्राम पंचायत अक्कलवाडी, देहगुड़, उमरी पंचायत में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को बीज उपचार, मिट्टी परीक्षण, प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी गई। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक, विभागीय अधिकारीगण, संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण एवं 2691 किसान उपस्थित रहें।
कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारियों ने उपस्थित कृषकों को बताया कि खरीफ फसलों की तैयारी से पूर्व उन्नत बीज, खाद प्रबंधन सिंचाई प्रबंधन की जानकारी द्वारा कृषकों को दी गई। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों को बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती एक ऐसी खेती की विधि है जो पारंपरिक भारतीय कृषि पद्धतियों पर आधारित है और इसमें रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस विधि में, सभी कृषि इनपुट, जैसे उर्वरक और कीटनाशक, खेत पर ही बनाए जाते हैं, इसलिए किसानों को बाजार से कुछ भी खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। जीरो बजट प्राकृतिक खेती की विशेषता है कि इस विधि में कोई भी रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक या खरपतवार नाशक का उपयोग नहीं किया जाता है यह विधि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और पर्यावरण को संरक्षित करने पर जोर देती है। इस विधि में, किसानों को बाजार से कोई भी इनपुट नहीं खरीदना होता है, जिससे खेती की लागत कम हो जाती है। इस विधि में, सभी इनपुट प्राकृतिक स्रोतों, जैसे कि गाय के गोबर और गोमूत्र, से प्राप्त किए जाते हैं। जीवामृत एक किण्वित सूक्ष्मजीव संस्कृति है जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पौधों को पोषण प्रदान करने के लिए उपयोग की जाती है। बीजामृत भी एक किण्वित सूक्ष्मजीव संस्कृति है जो बीजों को उपचारित करने और उन्हें स्वस्थ तरीके से विकसित करने में मदद करती है। जीरो बजट प्राकृतिक खेती के विशेष लाभ है कि इस विधि में, जीवामृत और बीजामृत का उपयोग मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है। इस विधि से उत्पादित भोजन रसायन-मुक्त होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। इस विधि में, रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है। इस विधि में किसानों को बाजार से कोई भी इनपुट नहीं खरीदना होता है, जिससे खेती की लागत कम हो जाती है। इस विधि से उत्पादन में वृद्धि होती है, क्योंकि मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
आज इन ग्रामों में आयोजित होगा कार्यक्रम
विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत आज 9 जून को प्रथम दल विकासखंड चिचोली की ग्राम पंचायत पाठाखेड, बीड रैयत, पडालदा में द्वितीय दल विकासखंड मुलताई के ग्राम पंचायत में बोथिया, ऐनस, उभारिया में तृतीय दल विकासखंड शाहपुर की ग्राम पंचायत कुंडी, सालीमेट, बानाबेहडा में चतुर्थ दल विकासखंड भीमपुर की ग्राम पंचायत चांदु, रमभा, कुनखेडी में तथा पंचम दल विकासखंड भैसदेही की ग्राम पंचायतं कोथलकुंड, सावलमेंढा, गदराझिरी पंचायतों में कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।