कृषि विज्ञान केंद्र ने दी किसानों को समसामयिक सलाह
दमोह l कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जिले के किसानों के खेतों में भ्रमण किया और खेतों किसानी से संबंधित समस्याओं का निराकरण करने के लिये वैज्ञानिक डॉ. राजेश द्विवेदी ने किसानों को समसामयिक सलाह दी। -
उन्होंने बताया इस समय मसूर में झुलसा रोग दिखाई दे रहा है। जिसमें पत्तियां आगे की ओर मुड़कर झुलस जाती हैं। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे आग लग गई हो तथा कुछ जगह मसूर में रतुआ (रस्ट) रोग भी दिखाई दे रहा है, जिसमें पत्तियों एवं तनों में लाल रंग के धब्बे बनते हैं। कुछ समय बाद ये एकत्र होकर एक धारी का रूप ले लेते हैं। यह दोनों रोग मसूर में व्यापक तौर पर फैल रहा है। उन्होंने कृषकों को सलाह दी जाती है कि अग्रलिखित सर्वांगीय फंफूंदनाशक (सिस्टमिक फंजीसाइड) जैसे फॉसिटाइल 80 डब्ल्यू. पी. (व्यापारिक नाम एलियट) 200 ग्राम प्रति एकड़ या एजोआक्सीइस्ट्रोबिन$ डाइफेनकोनॉजोल (व्यापारिक नाम अमिस्टार टॉप) 200 एम.एल. प्रति एकड़ या प्रापेकोनॉजोल $ डाइफेनकोनॉजोल (व्यापारिक नाम ग्लोइट) 300 एम.एल. प्रति एकड़ का स्प्रे करने से दोनों रोगों का निदान किया जा सकता है।
उन्होंने बताया मसूर में माहू का प्रकोप भी दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में किसान भाई थायोमेथॉक्सॉम (व्यापारिक नाम अरीवा या मैक्सिमा) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से उक्त कीट का नियंत्रण किया जा सकता है।
चने में फली छेदक इल्ली का प्रकोप भी देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इमामेक्टीन बेंजोएट ( व्यापारिक नाम रेलॉन या स्टारक्लेम या बेंजर) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से इल्ली का प्रभावी नियंत्रण हो जाता है।
इन सभी छिड़कावों में किसान भाइयों को यह सलाह दी गई है, कि एक एकड़ में कम से कम 150 से 200 लीटर पानी में रसायनों का घोल बनाकर छिड़काव करें, तथा खेत में नमी होने पर उक्त रसायनों का प्रभाव अधिक होगा।
किसी भी प्रकार की खेती किसानी से संबंधित समस्याओं के निराकरण हेतु कृषक बंधु कृषि विज्ञान केंद्र दमोह में संपर्क कर सकते है।