अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गौतमबुद्ध नगर के दादरी क्षेत्र में एनटीपीसी परिसर में महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर योगी ने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पित होना कैसा होता है, यह महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व से सीखना चाहिए। महाराणा प्रताप, जो मेवाड़ राज्य के शासक थे, मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व करने के लिए जाने जाते हैं। अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी। उन्होंने कहा कि भारत की सीमाएं ईरान तक पहुंच चुकी थीं, महाराणा सांगा के बाद एक समय ऐसा आया जब महाराणा प्रताप को राजगद्दी मिली। उन्हें चित्तौड़गढ़ छोड़ना पड़ा, लेकिन पहला युद्ध उन्हें महज 28 साल की उम्र में लड़ना पड़ा। महाराणा प्रताप ने दूसरा युद्ध 36 साल की उम्र में लड़ा। वे हल्दीघाटी में लगातार युद्ध लड़ते रहे, अकबर की लाखों की सेना को मारते-काटते रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा, "नायक अकबर नहीं महाराणा हैं, उन्होंने औरंगजेब को घुटने टेकने पर मजबूर किया और घुट-घुट कर मरने पर मजबूर किया। सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश करने वाले भारत के नायक नहीं हो सकते।" उन्होंने कहा, “अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी।” मुख्यमंत्री ने कहा,“हमारे आदर्श और राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी महाराज हैं, ना कि अकबर या औरंगजेब।” मुख्यमंत्री ने कहा कि “अकबर कभी नायक नहीं हो सकता। इन्होंने भारत की सनातन परंपरा को रौंदने के लिए तमाम षड्यंत्र रचे। इसके विपरीत, महाराणा प्रताप ने अपने बलिदान से सनातन संस्कृति की रक्षा की।” योगी ने छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु गोविंद सिंह का भी बार-बार उल्लेख किया और कहा कि “ये राष्ट्रनायक हमारी प्रेरणा हैं। योगी ने राणा सांगा की वीरता का भी जिक्र किया। योगी ने जनसभा स्थल से ही गौतमबुद्ध नगर के लिए 1,467 करोड़ रुपये की 97 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में महाराणा प्रताप के जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वधर्म के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। तनिक स्वार्थ के लिए सत्ता के सामने झुकने की बजाय, उन्होंने स्वाभिमान को चुना। योगी ने कहा कि चित्तौड़ के राजवंश में जन्में और कुम्भलगढ़ में पैदा हुए महाराणा प्रताप ने मात्र 28 साल की उम्र में अकबर जैसे विशाल साम्राज्य से पहला युद्ध लड़ा।