सीहोर l प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत वरदान के रूप में कार्य कर रहा है। जीवामृत की एक यूनिट से 100 एकड़ तक खेती की जा सकती है। जीवामृत को सिंचाई से सांथ खेती में उपयोग करने से भूमि में लाभदायक जीवाणुओ की संख्या बढती है। मृदा स्वस्थ बनती हैऔर फसल उतनी ही बेहतर आती है, इसी के साथ इसके से मृदा में केंचुओ संख्या बढती है। जिला मुख्यालय से 28 किमी दूरी ग्राम सालीखेडा में कई आदिवासी बरेला जनजाति के किसान परिवार रहते हैं, जहां जीवामृत को अपनाया गया है। गांव में 164 किसानो के पास वन अधिकार पत्र हे जिसके आधार पर वह गांव में खेती करते है।

 

      समर्थन संस्था ‌द्वारा विगत 2 वर्षों से गांव में जैविक खेती को बढावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सर्वप्रथम गांव में 2023 में किसान संजय बरेला के खेत पर बोयो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसीकी स्थापना की गई, जिसमे प्राकृतिक खेती के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक गो मूत्र है। गोमूत्र कलेक्शन के लिए यूनिट बनाई गई। श्री संजय बारेला के खेत पर 5 प्लास्टिक के ड्रम और गोमूत्र कलेक्शन सेंटर के माध्यम से (बीआरसीको प्रारम्भ किया गया। जिसमें कीट प्रबंधन के लिए चार चटनीपांच पत्ती काडानीम अस्त्रब्रह्मास्त्रअग्नि अस्त्र जेसी जैविक कीटनाशको और ग्रोथ प्रमोटर और टॉनिक के स्थान पर सोया टॉनिक और कंडा पानीजीव अमृत का प्रयोग किया गया। बीआरसी सेंटर को धीरे- धीरे तकनीकी रूप से अपडेट किया गया, जिमसे जैविक कीटनाशको को बनाने के लिए कटाई और पिसाई के लिए ग्रेवी मशीन का उपयोग किया गया जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा दवाइयों को बनाया जा सके । बीआरसी से 40 किसानों को जोड़ा गया। आज किसान अपनी 2 एकड़ से लेकर 14 एकड़ में जैविक अदानो का प्रयोग कर रहे है।

 

      इसी प्रकार अप्रैल में बड़वानी जिले के किसानो को एक शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम में एडवांस जीवामृत यूनिट को दिखाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप ग्राम सालीखेडा में अभय बरेला और बीलखेडा में थॉमस के यंहा एक एक यूनिट को लगाया गया है, जिससे 200 लीटर जीवामृत प्रतिदिन बनाया जा सकता है। यह तकनीक कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति के रूप में कार्य करते हुए किसानों की मदद कर सकती है|

 

एडवांस जीवामृत बनाने की विधि

 

      एडवांस जीवामृत के द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। जिससे बड़े स्तर पर जैविक खेती हो सकती है। जीवामृत को बनाने के लिए 4-5 दिन पुराना कचरा हटाकर 200 किग्रा गोबर, 100 किग्रा पीसा हुआ कद्दू, 75 किग्रा गुड के पानी का घोल, 10 किग्रा चावल का पानी, 100-150 लीटर गौमूत्र, 100-200 लीटर छाछ, 20 किग्रा बेसन, 20 किग्रा पिसा हुआ एलोवेरा, 50 किग्रा सरसो पाउडर, 3 लीटर लिक्विड कल्चर  1 लीटर soil charger liquid, एक बैग और पानी की आवश्यकता होती है, तथा इसके अलावा इसमें घर से निकलने वाले सब्जी के कचरे का भी उपयोग किया जा सकता है।