छिंदवाड़ाl जिले में कृषि के क्षेत्र में नित्य नये नवाचार किये जा रहे हैं तथा इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में छिन्दवाड़ा जिले के सौंसर विकासखंड के कृषकों द्वारा ग्रीष्मकालीन ज्वार की फसल लगाकर नवाचार किया गया है । इस नवाचार से जहां मिलेट फसलों को बढ़ावा मिला है, वहीं कृषक कम लागत में अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं । कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा कृषकों को प्रेरित किये जाने पर जिले के सौंसर विकासखंड के ग्राम गुजरखेड़ी के कृषकों द्वारा लगाई गई ग्रीष्मकालीन ज्वार की फसलें ऋतु में लहलहा उठीं हैं तथा कृषक मूंगफली की फसलों का भी उत्पादन लेने के लिये प्रोत्साहित हुये हैं ।
जिले के सौंसर विकासखंड के ग्राम गुजरखेड़ी में शिक्षा विभाग से 37 वर्ष की सेवा के  उपरांत सेवानिवृत्त हुये कृषक श्री चिन्देश्वर सहस्त्रबुद्दे द्वारा लगभग 1.5 एकड़ क्षेत्र में 10 फरवरी को ग्रीष्मकालीन ज्वार की बुआई की गई जिसमें 120 दिन की अवधि में 4 सिंचाई की गई जिससे लगभग 25 क्विंटल ज्वार का उत्पादन प्राप्त हुआ है। कृषक श्री चिन्देश्वर सहस्त्रबुद्दे के अलावा विकासखंड सौंसर के कृषक सर्वश्री अरविंद मूले, बंडू असूलकर, श्रीमती उमाबाई होरीलाल मानापुरे और उमलाकर सोनबा ढगे द्वारा भी ग्रीष्मकालीन ज्वार की फसल लगाई गई है। उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा गत दिवस अनुविभागीय कृषि अधिकारी सौंसर श्री दीपक चौरसिया, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री दिलीप परतेती व श्री कैलाश धुर्वे और ए.टी.एम. आत्मा श्रीमती दीपिका गायकवाड़ व कृषकगणों के साथ ग्राम गुजरखेड़ी में कृषक श्री चिन्देश्वर सहस्त्रबुद्दे के खेत पर पहुंचकर उनकी ग्रीष्मकालीन ज्वार फसल का निरीक्षण किया गया । इसके बाद उप संचालक कृषि श्री सिंह द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंगफल्ली उत्पादक क्षेत्रों के ग्राम जोबनी, आमला, खापा, घोघरी, नंदूढाना ग्रामों का भ्रमण किया गया और ग्रीष्मकालीन मूंगफली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये सर्वश्री सागर विश्वेसर ढोमने, प्रमोद सोमकुंवर, दशरथ पाटिल, प्रवीण पाटिल आदि कृषकों से चर्चा की गई । उप संचालक कृषि श्री सिंह ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में मिलेट फसलों को बढ़ावा देने के लिये विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में सौंसर क्षेत्र में ज्वार की अनुकूलता होने के कारण कृषकों को अधिक से अधिक क्षेत्र में ज्वार फसल लगाने के लिये प्रेरित किया गया ताकि कम लागत में कृषकों की अच्छी आय प्राप्त हो सके।