दलहन फसल लगाकर फसल उत्पादन बढ़ाये
बुरहानपुर l किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा जिले में खरीफ सीजन में अरहर की नई किस्मों का प्रदर्शन किसानों के खेतो पर आयोजित किया जा रहा है। कृषि उपसंचालक श्री एम.एस.देवके ने जानकारी देते हुए बताया कि, नई किस्मों के उपयोग से उत्पादन में तो वृद्धि होगी ही साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि हो सकेगी। जिले में किसानों द्वारा अरहर की नई किस्म रेणुका, भीमा एवं पूसा अरहर-16 का प्रदर्शन किया जा रहा है। अरहर की रेणुका किस्म 165-170 दिनों में परिपक्व होकर 18-21 क्वि. प्रति हैक्टेयर उत्पादन देती है। यह उकठा के लिये मध्यम प्रतिरोधी एवं मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी है। भीमा किस्म 160-165 दिन में परिपक्व होकर 12-15 क्वि. प्रति हैक्टेयर उत्पादन देती है। वहीं अरहर की सबसे कम दिन में परिपक्व होने वाली किस्म पूसा अरहर-16 है, जो 120 दिन में परिपक्व हो जाती है एवं 10-12 क्वि. प्रति हैक्टेयर उत्पादन इसमें प्राप्त होता है। अरहर की पूसा-16 किस्म को किसान अन्तवर्तीय फसल के रूप में भी लगा सकते है, क्योंकि इसकी उंचाई 4 फीट के लगभग होती है। सोयाबीन फसल में सुरक्षा हेतु सलाह किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को आवश्यक सलाह दी गई है। कृषकगण बीज के साथ उर्वरक मिलाकर सोयाबीन की बोवनी ना करें। इससे भूमि में बीज सड़ने का खतरा रहता हैं। अनुशंसित उर्वरकों को या तो सीड-कम-फर्टिलायजर से डाले अथवा बोवनी से पहले अपने खेत में छिड़काव करें, तत्पश्चात सोयाबीन की बोवनी की जायें। फसल में पोषक तत्वों की पूर्ति निर्धारित मापदण्ड अनुसार कर ली जायें। असिंचित क्षेत्रों में जहां रबी की फसल संभव नहीं हो वहां सोयाबीन के साथ अरहर की अंतरवर्तीय फसल (4 अनुपात 2) उगाना अधिक लाभकारी है। जबकी सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार, कपास, बाजरा आदि अंतरवर्तीय फसलों का ही चुनाव करें, जिससे रबी फसल की बोवनी पर प्रभाव न पडे। इसी प्रकार फलियानों में बीच की खाली जगह में भी सोयाबीन की खेती की जा सकती है। सोयाबीन बोवनी के तुरन्त बाद खरपतवार नाशक डायक्लोसूलम 84 डब्ल्यू डीजी (26-30 ग्रा./है.), पेण्डीमिथालीन 30 ईसी (2.50-3.30 ली./है.) क्लोमोझोन 50 ईसी (1.50-2.00 ली./ है.) मात्रा का उपयोग करें। सोयाबीन बोवनी के 10-12 दिन बाद क्लोरीम्यूरान इथाईल 25 डब्ल्यू.पी.$सर्फेक्टेन्ट 36 ग्राम प्रति है. का उपयोग करें।