कलेक्टर ने ग्राम सालीखेड़ा में जीवामृत विधि और उससे की जा रही खेती का अवलोकन किया
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सीहोर l कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने सीहोर तहसील के ग्राम सालीखेड़ा निवासी किसान पठान सिंह सोलंकी द्वारा जीवामृत पद्धति से की जा रही खेती कार्य का अवलोकन किया। कलेक्टर श्री सिंह ने किसान श्री सोलंकी से उनके द्वारा जीवामृत पद्धति से खेती करने और इस पद्धति से खेती में आ रहे बदलाव के बारे में विस्तार से जानकारी ली। किसान श्री सोलंकी द्वारा जीवामृत पद्धति से कीटनाशक तथा खाद स्वयं तैयार किया जाता है और खेती में उपयोग किया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिंह इसे तैयार करने की विधि और इसमें उपयोग की जा रही सामग्रियों का अवलोकन किया।
कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने कहा कि वर्तमान में रासायनिक खाद्य और कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरता नष्ट हो रही है तथा इसे तैयार फसलों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से भूमि की उर्वरता बनाए रखने, बढ़ाने तथा दोष मुक्त फासले तैयार करने में जीवामृत एक कारगर जैविक पद्धति है। उन्होंने कहा कि किसान भाई इस पद्धति को अपनाते हैं तो, इससे धरती और मनुष्य दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहेगा। किसान श्री सोलंकी द्वारा कृषि विभाग के माध्यम से बड़वानी से जीवामृत पद्धति का प्रशिक्षण लिया है और अपनी 17 एकड़ कृषि भूमि पर इसी पद्धति से खेती कर रहे हैं। निरीक्षण के दौरान कृषि विभाग के उप संचालक श्री के के पांडे तथा अनेक किसान उपस्थित थे।
जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है
जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है. जिसे गोबर के साथ पानी मे कई और पदार्थ जैसे गौमूत्र , बरगद या पीपल के नीचे की मिटटी, गुड़ और दाल का आटा मिलाकर तैयार किया जाता है। जीवामृत पौधों की वृद्धि और विकास के साथ साथ मिट्टी की संरचना सुधारने में काफी मदद करता है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाने का कार्य करता है, जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं तथा फसल से बहुत ही अच्छी पैदावार मिलती है।
जीवामृत का इस प्रकार किया जाता है उपयोग
फसल को दी जाने वाली प्रत्येक सिंचाई के साथ 200 लीटर जीवामृत का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से उपयोग किया जा सकता है, अथवा इसे अच्छी तरह से छानकर टपक पद्वति से या छिड़काव सिंचाई के माध्यम से प्रयोग कर सकते है, जो कि एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त होता है. छिड़काव के लिए 10 से 20 लीटर तरल जीवामृत को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।