नर्मदापुरम जिले के विकासखंड माखननगर के ग्राम बुधवाड़ा निवासी प्रगतिशील कृषक श्री नारायण मीना रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनाकर खेती के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। श्री मीना ने बताया कि प्राकृतिक खेती से उन्हें रासायनिक खेती के समान ही मुनाफा हो रहा है और लागत में भी कमी आ रही है।

उन्होंने वर्ष 2021 से आत्मा परियोजना एवं कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर से समय-समय पर प्रशिक्षणकृषि प्रदर्शनी एवं कृषि विज्ञान मेले आदि में सहभागिता कर प्राकृतिक खेती का तरीका सीखा और उसे अपनी जमीन पर सफलतापूर्वक लागू किया। श्री मीना ने मात्र 1 एकड़ भूमि से प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी और आज वे 3 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।

खरीफ मौसम में श्री मीना ने 3 एकड़ भूमि में पी.बी-1 धान की खेती कीजिसकी कुल लागत 64,500 रुपये आई। उपज बेचने पर 1,98,000 रुपये की आय हुई और लागत घटाने के बाद उन्हें 1,33,500 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।

रबी मौसम में उन्होंने 1 एकड़ में डीबीडब्ल्यू-303 किस्म का गेहूं बोयाजिसमें 10,000 रुपये लागत आई। उपज से 35,000 रुपये प्राप्त हुए और शुद्ध मुनाफा 25,000 रुपये रहा। इसके अलावा रबी मौसम में ही 2 एकड़ में आरवीजी-202 किस्म के चने की खेती की गईजिसमें 23,600 रुपये की लागत आई। चना बेचने पर 1,26,000 रुपये प्राप्त हुए और 1,02,400 रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया।

ग्रीष्मकालीन मौसम में 3 एकड़ भूमि में पीडीएम-139 किस्म की मूंग की खेती की गई। इस पर 35,600 रुपये की लागत आई और उपज बेचने पर 1,35,000 रुपये प्राप्त हुए जिससे 99,400 रुपये का शुद्ध लाभ मिला। इस प्रकार श्री मीना को पूरे वर्ष भर में कुल 3,60,300 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।

श्री मीना ने बताया कि वे पोषक प्रबंधन व्यवस्था के तहत जीवामृतगौकृपामृतधनजीवामृत का स्वयं निर्माण कर प्रयोग करते हैं। इसके अलावा प्रोमएजोटोबैक्टर व पी.एस.बी. कल्चर का भी उपयोग किया जाता है। फसल सुरक्षा के लिए दशपर्णी अर्क का निर्माण कर उसका छिड़काव करते हैं।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से न केवल लागत में कमी आती है बल्कि फसलों के बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं। श्री मीना ने बताया कि वे जैविक कृषि के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य के सुधार में योगदान दे रहे हैं। आत्मा परियोजना के मार्गदर्शन में वे अपनी खेती को लगातार उन्नत बना रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।