दिव्य चिंतन - भारत रत्न लालकृष्ण आडवानी

हरीश मिश्र
भारत के राजनैतिक, सामाजिक इतिहास में आज का दिन ऐतिहासिक है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का एलान किया गया है।
अडवाणी जी ने 25 सितंबर 1990 सोते हुए बहुसंख्यकों को जगाया था। उस दिन समुद्र किनारे सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा लालकृष्ण आडवाणी ( पूर्व अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ) ने शुरु की थी। लालकृष्ण के सारथी बने नरेंद्र मोदी।
राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए प्रारंभ की गई यात्रा, "सेकुलरिज्म" से मुक्ति का आंदोलन बन गया। रथ यात्रा साम्प्रदायिक नहीं थी, यदि सांप्रदायिक होती तो सोमनाथ से अयोध्या तक रक्त बहता। वोट की राजनीति के लिए "सेकुलर" विचारों की परख नली से जन्मे विश्वनाथ प्रताप सिंह, लालू प्रसाद यादव,मुलायम सिंह यादव और दिग्विजय सिंह ने अल्पसंख्यकों को उकसाया। जिसकी परिणीति में सोता हुआ बहुसंख्यक समाज जाग गया।
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी यात्रा में "मस्जिद सिर्फ स्थानांतरित करने की बात कही थी" लेकिन मुलायम सिंह यादव ने "मस्जिद को नहीं गिराने देंगे" का नारा बुलंद किया । जिस मस्जिद को गिराने का कोई जिक्र ही नहीं था उसे बचाने के लिए उत्तर प्रदेश को मुलायम सिंह ने छावनी बना दिया। इन नेताओं में "सेकुलर" दिखने की होड़ लगी थी, इसलिए सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काया। हिंदुओं को जेलों में ठूंस दिया।
देश में सोते हुए बहुसंख्यक समाज को जगाने में यदि किसी राजनेताओं का सबसे अधिक योगदान है तो वह ये दोनों नेता हैं,एक लालू प्रसाद यादव और दूसरे मुलायम सिंह यादव । इन दोनों नेताओं में "सेकुलर" दिखने की होड़ मची थी।
रथयात्रा समुद्र किनारे सोमनाथ से शांति पूर्वक प्रारंभ हुई जो 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी। लेकिन 23 अक्टूबर को बिहार के तात्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी जी को गिरफ्तार करा लिया था और 30 अक्टूबर 1990 को उत्तर प्रदेश के तात्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियों चलवाईं। लालू यादव ने सिद्ध करने का प्रयास किया कि वे "सेकुलर" चेहरे हैं। तब मुलायम सिंह यादव ने संदेश दिया वह सेकुलरिज्म की आवाज़ हैं।
बहुसंख्यक समुदाय सामान्य रूप से धर्मांध और कट्टरपंथी नहीं होता, सामान्यत: वह हिंसक और उग्रवादी भी नहीं होता किंतु इन दोनों नेताओं ने हिंदुओं के सोचने के तरीके को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार)