रासायनिक उर्वरक नही जैविक खाद का करें प्रयोग नवजात शिशु की तरह रखना होता है पौधों का ध्यान
बड़वानी /आजकल रासायनिक उर्वरक और रासायनिक कीटनाशक का उपयोग बहुत बढ़ गया है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। कृषि उपज मानव और पशुओं के लिए हानिकारक हैं। पर्यावरण पर भी गलत असर हो रहा है। रासायनिक उर्वरक का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। जैसे एक नवजात शिशु का ध्यान रखा जाता है, वैसे ही नए पौधों का भी ध्यान रखना आवश्यक है। रोगग्रस्त पौधे और स्वस्थ पौधे को उसकी बढ़त, पत्तियों के रंग, उस पर लगने वाले फूल-फल आदि से पहचाना जा सकता है। उसका जैविका कीटनाशकों से उपचार किया जाना चाहिए। ये बातें शहीद भीमा नायक ष्शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा संचालित किये जा रहे व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैविक खेती की प्रशिक्षण कार्यशाला में महाविद्यालय के माली श्री राकेश बिलवाल ने कहीं। यह प्रशिक्षण प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा को मार्गदर्शन में दिया जा रहा है। व्यावहारिक ज्ञान का लिया लाभ कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि वर्षों से माली के रूप में सेवा दे रहे श्री राकेश बिलवाल के व्यावहारिक अनुभव का लाभ विद्यार्थियों को दिलवाया गया। उन्होंने क्यारी निर्माण, पौधे तैयार करना, ग्राफ्टिंग, कटिंग, सिंचाई, जैविक तरीकों से पौधों का उपचार, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की विधि आदि के बारे में विस्तार से बताया। पहले उन्होंने सभागृह में सैद्धांतिक जानकारी दी और फिर उद्यान में व्यावहारिक जानकारी प्रदान की। वर्षा शिंदे, अंतिम मौर्य, राहुल भंडोले, चेतना मुजाल्दे, विकास सेनानी, कन्हैया फूलमाली, नागरसिंह डावर, नंदकिशोर चौहान, डॉ. मधुसूदन चौबे सहित दो सौ से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे।