खरगौन जिले में उद्यानिकी फसल मिर्च में थ्रिप्स (ब्लैक चिप्स) के प्रबंधन के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है। उद्यानिकी उप संचालक श्री केके गिरवाल ने बताया कि थ्रिप्स और अन्य कीटों के प्यूपा और अवशिष्ट चरणों को नष्ट करने के लिए गर्मियों में गहरी जुताई करें। अच्छी तरह से विघटित गोबर की खाद (एफवायएम) या कम्पोस्ट 250 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से, मेटारिजियम एनिसोप्लिया या स्यूडोमोनास फ्लोरेसर्स 2 किया/प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद के साथ मिलाकर उपयोग करें। थ्रिप्स के खिलाफ प्रतिरोध पैदा करने के लिए मिट्टी में 5 क्विंटल नीम की खली और 15 से 20 क्विंटल वर्मी-कम्पोस्ट/हेक्टेयर का उपयोग करें। इमिडाक्लोरपिड 70 डब्ल्यएसू 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार करें।                 

पौध की जड़ों को इमिडाक्लोरपिड 17.8 प्रतिशत एसएल 0.5 मिली/लीटर के घोल में 30 मिनट तक डुबोएं। अनुशंसित दूरी का पालन करें और करीबी दूरी से बचें, क्योंकि उच्च घनत्व वाला रोपण कीट की घटना और गुणन को बढ़ावा देता है। कीटों के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश के साथ संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें। मिट्टी में थ्रिप्स के प्यूपेशन को कम करनेके लिए 25-30 माइक्रोन मोटाई की चांदी (सिलवर) के रंग की पॉलिथीन शीट से मल्चिंग करें। थ्रिप्स प्रकोप के लिए बाधा के रूप में ज्वार/मक्का/बाजरा आदि जैसी लथी बढती फसलों की 2 से 3 पंक्तियां खेत के चारों और लगायें। प्राकृतिक शत्रुगुणन के लिए अबरोधक फसलों के रूप में 10ः3ः1 पर मक्का/ज्वार और लोबिया के साथ मिर्च की अंतर फसल लगाने से थ्रिप्स का जैविक नियंत्रण होता है। मिट्टी में रहने वाले थ्रिप्स के प्यूपा को नष्ट करने के लिए बार-बार निदाई-गुड़ाई करें। कीटों के प्रबंधन के लिए स्वच्छ खेती और खरपतवार मुक्त मेड़ों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। पोएसी या ग्रेमिनी परिवार (अनाज) से संबंधित फसलों के साथ फसल चक्र।      

    यांत्रिक विधियां            

    शीर्ष भागों पर रहने वाले थ्रिप्स को नष्ट करने के लिए वानस्पतिक अवस्था में गंभीर रूप् से संक्रमित शीर्ष प्ररोहों को तोड़ना और नष्ट करना। गंभीर रूप से संक्रमित पौधों को उखाड़कर, गाड़कर या जलाकर यांत्रिक रूप से नष्ट करना। बड़े पैमाने पर फंसाने के उद्देश्य से फसल केनोपी की ऊंचाई पर 65 से 75 नीले जाल/हेक्टेयर लगायें। बाढ़ सिंचाई के बजाय स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को अपनाना, क्योंकि स्प्रिंकलर से पानी की बौछार थ्रिप्स की वृद्धि और गुणन को बाधित करती है।    

    जैविक विधियां        

       उद्यानिकी विभाग ने सलाह दी है कि जहां तक संभव हो रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव से बचकर देशी प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करें। माइक्रोबियल आधारित कीटनाशकों जैसे ब्यूटेरिया बैसियाना या लेकनिसिलियम लेकानी का 4 ग्राम या एमएल/लीटर (बीजाणुभार-1X008 सीएफयू जी या एमएल) का छिडकाव करें।  

वानस्पतिक विधियाँ          

      नीम बीज गिरी अर्क (एनएसकेई) या 5 प्रतिशत नीम बीज पाउडर अर्क या 0.50 प्रतिशत नीम तले (5 मिली/लीटर), 0.50 प्रतिशत पौगामिया तले (5 मिली/लीटर) और 5 प्रतिशत विटेक्स नेगुंडो अर्क (50 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। नीम आधारित कीटनाशक (एजाडिरेक्टिन 3000 पीपीएम) के व्यावसायिक फॉर्मूलेशन का 2 मिली/लीटर (कितना पानी/हेक्टेयर) की दर से छिड़काव करें। 2 प्रतिशत नीम बीज गिरी अर्क के साथ छिड़काव करें। थ्रिप्स की गंभीर घटनाओं का सामना करने के लिए पौधे में प्रतिरोध उत्पन्न करने के लिए 2 मिली/लीटर की दर से समुद्री खरपतवार (कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी) अर्क का छिड़काव करें।      

  रासायनिक विधियाँ               

अंतिम उपाय के रूप में नीचे दिए गए अनुबंध में दिए गए अनुसार लेबल दावा कीटनाशकों का आवश्यकता आधारित और विवेकपूर्ण छिड़काव करें। पूरे पौधे पर समान रूप से छिड़काव किया जाना चाहिए। छिडकाव करते समय कीटनाशक घोल को उचित स्टिकर और स्प्रेडर के साथ मिलाया जाना चाहिए। अपंजीकृत कृषि रसायनों जैसे कीटनाशकों, पौधों के विकास नियामको, पोषक तत्वों के मिश्रण आदि के छिड़काव से सख्ती से बचना चाहिए।          

      थ्रिप्स के पनु रुत्थान (अचानक फैलने) पर काबूपाने के लिए एक ही क्रिया प्रणाली वाले रासायनिक कीटनाशकों का बार-बार छिड़काव और उप-घातक खराकु के छिड़काव स बचा जाना चाहिए। अधिक प्रकोप होने पर अंतिम विकल्प के तौर पर फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एसी 800 से 1000 मिली प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी या साइट्रानिलिप्रोएल 10.26 प्रतिशत ओडी 600 मिली प्रति हेक्ट. 500 या स्पिनेटोरम 11.70 प्रतिशत एससी 470 से 500 मिली प्रति हेक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।  

      पौधे कैसे तैयार करे           

     किसान भाई पौध शाला को कीट अवरोधक जाली (40-50 मेश कीट अवरोधक नेट) के अंदर तैयार करें। पौंध को प्रो ट्रे में कोकोपीट के माध्यम में तैयार करें। यदि प्रो ट्रे की व्यवस्था नहीं हो तो बीजों की बुवाई के लिए 3 X1 मीटर आकार की भूमि से 10 सेमी ऊँची उठी क्यारी तैयार करे। मिर्च की पौध शाला की तैयारी के समय 50 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी को 3 किलो ग्राम पूर्णतया सड़ी गोबर हुई की बाद में मिलाकर पति 3 वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाएँ। मिर्च के बीज को बुवाई के पूर्व मेटालैक्सिल 31.8 प्रतिशत ईएस 2 मिली प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इसके उपरान्त इमिडाक्लोप्रिड 70 प्रतिशत डब्ल्यूएसू 4-6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें।    

    पौध की खेत में रोपाई कैसे करे          

      35 दिन आयु की पौध को खेत में रोपण करे। फसल को रस चसकू कीटी से बचाव के लिए रोपाई के पूर्व पौध को इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक पौध की जड़ों को डुबाने के बाद खेत में रोपाई करें। मिर्च के खेतों के आसपास ज्वार मक्का की दो-तीन कतारे लगाना भी लाभदायक होता है। खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधों को उखाड़कर गढ्ढे में डालकर बंद करें।