सोयाबीन फसल कीटनाशक दवा का छिड़काव करने की किसानों को सलाह

भोपाल l संयुक्त संचालक कृषि श्री बी.एल.बिलैया ने किसानों को सामयिक सलाह दी है कि सोयाबीन की बोई फसल 30 दिन ओर कहीं कहीं तो 40 दिन की हो गई है। सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटी में फूल आ गये है। अब कीटव्याधियों से सुरक्षा करना आवश्यक है।
सोयाबीन एवं अन्य फसल में लगने वाले कीटो के लिए कीटनाशी दवा का छिड़काव करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सोयाबीन फसल में लगने वाले कीटो में तने की मक्खी के नियंत्रण के लिए कीटनाशक थायोमिथाक्सम + लेम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली प्रति हे.) का छिड़काव करें। पत्ती खाने वाले कीटो की सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले हीसोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मि.ली प्रति हे.) का छिड़काव करें। चक्र ग्रंग (गर्डल बीटल) के प्रभावी नियंत्रण हेतु साइक्लोप्रीड 21.7 एस.सी. (750 मि.ली प्रति हे.) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1250 मि.ली. प्रति हे.) या पूर्व मिश्रित बीटासायफ्लथ्रिन + इमिडाक्लोप्रीड (350 मि.ली. प्रति हे.) या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम + लेम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली प्रति हे.) का छिड़काव करें। फसल में जैविक नियंत्रण के लिए टी-आकार की खूंटी खेतो में लगावे ताकि कीटभक्षी पक्षी खुटियों पर बैठकर इल्लियों को खा सके ।
किसान भाईयों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों का संवत् निगरानी करते रहे। कीटव्याधी के प्रकोप होने पर तत्काल कीटनाशक दवाओं का उपयोग करें। कीटनाशक दवाएं पंजीकृत विक्रेताओं से ही क्रय करें। क्रय करते समय पक्का बिल आवश्यक रूप से लें । अधिक जानकारी के लिए कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सेवनिया के वैज्ञानिक तथा अपने क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें।