मौसमी बीमारियों से बचाव के करे उपाय किसान

अलीराजपुर 19 जुलाई 2024 । कृषि विज्ञान अधिकारी ने बताया की वर्तमान समय में जिले में मौसम की स्थिति के अनुसार फसलों जैसे सोयाबीन, उड़द, मक्का कपास आदि में बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। साथ ही उड़द एवं सोयाबीन में पीला मोजेक बीमारी के नियंत्रण हेतु विशेष सावधानी की आवश्यकता है। कृषकों के लिए कीट एवं बीमारियों के नियंत्रण हेतु सलाहः • मक्का में तना छेदक इल्ली के नियंत्रण हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एस जी की 0.4 ग्राम या स्पाइनोसैड की 0.3 मी.ली. या थाइमेथोक्जम 12.6 प्रतिशत + लेम्डा साइहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत की 0.5 मी.ली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जिले में उड़द एवं सोयाबीन फसल में पीला मोजेक बीमारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है इसके नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही अपने खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएं जिससे इसका संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण होने में सहायता मिलें। फसल पर पीला मोजाइक रोग के लक्षण दिखते ही ग्रसित पौधों को अपने खेत से निष्कासित करें। खेत में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित पूर्व मिश्रित सम्पर्क रसायन जैसे बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रीड (350 मिली. / है.) या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम लैग्बडा सायहेलोथिन (125 मि.ली. / है.) का छिड़काव करें जिससे सफेद मक्खी के साथ-साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी एक साथ नियंत्रण हो सकें। • पत्तियाँ फूल फली खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण हेतु कीटनाशक जैसे इन्डोक्साकार्ब 333 मि.ली./ है. या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सी.एस. 300 मि.ली. / है. या प्रोफेनोफोस+साइपरमेथ्रिन 1.5 लीटर / है का छिड़काव करें।
• कपास में रसचूषक कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडक्लोप्रीड या थायोमिथाक्सम या एसीटामीप्रीड की 0.3 से 0.5 मी.ली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।उक्त जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र अलीराजपुर द्वारा दी गई ।