बुंदेलखंड के किसानों को सिखाई जाएगी हाइड्रोपोनिक तकनीक

सागर l बुंदेलखंड में खेती को लेकर तरह-तरह के इनोवेशन किए जाते हैं। इसी कड़ी में उद्यानिकी विभाग बुंदेलखंड में हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती के प्रति किसानों को आकर्षित करने के लिए तैयारी कर रहा है। इस कड़ी में विभाग द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. बिना मिट्टी के पानी के जरिए खेती की तकनीक को हाइड्रोपोनिक तकनीक कहा जाता है. वैसे तो खेती का ये तरीका उन इलाकों में ज्यादा उपयोग होता है. जहां खेती योग्य जमीन नहीं है या फिर बडे़ शहरों में लोग अपने किचन या टेरेस गार्डन में इस तकनीक से खेती करते हैं. अब बुंदेलखंड में इस नयी तकनीक से किसानों को अवगत कराने उद्यानिकी विभाग ने पहल की है।
क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक
हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती को सरल शब्दों में समझें, तो ये खेती मिट्टी की जगह पानी के जरिए की जाती है. इस तकनीक का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है। जहां सीमित जमीन है या जमीन उपलब्ध नहीं है या फिर खेती योग्य जमीन नहीं है, देश एवं महानगरों में बागवानी के शौकीन लोग अपने घरों में या टैरेस में इस तकनीक से खेती करते हैं. इसे एक्वाकल्चर और टैंक फार्मिंग भी कहते हैं. इस तकनीक के जरिए पानी को रिसाइकल किया जाता है।
मिट्टी रहित खेती पूरी तरह से पानी पर निर्भर रहती है, इसमें पाइप का जाल बिछाकर या फिर टैंक में पानी के जरिए खेती की जाती है। पौधों को पाइप में लगाया जाता है और पाइप में पानी बहाकर पौधों तक पहुंचाया जाता है. इस तकनीक में पौधों की जड़ों में पानी के जरिए पोषक तत्वों, कीटनाशक और अन्य जरूरी पदार्थों को पहुंचाया जाता है। पानी के जरिए पोषक तत्व मिलने के कारण इन पौधों की आसानी से वृद्धि होती है. पौधों की जडे़ ऑक्सीजन युक्त पोषक घोल से भरे टैंक या पाइप में डुबा दी जाती है।
बुंदेलखंड के किसानों को सिखाई जाएगी हाइड्रोपोनिक तकनीक- सागर के वरिष्ठ उद्यानिकी विकास अधिकारी श्री पीडी चौबे बताते हैं कि ये मिट्टी के बगैर खेती की तकनीक है. जिसमें मिट्टी की जगह पानी में पोषक तत्वों के घोल का उपयोग कर फसलें उगाई जाती है। जिससे पौधे तेजी से स्वस्थ तरीके से विकसित होने में मदद मिलती है. बुंदेलखंड में इसकी संभावनाएं हैं, महंगी तकनीक होने के कारण शहरी क्षेत्र में लोग घरों में या छत पर इस तकनीक के जरिए खेती कर सकते हैं. चूंकि यहां मिट्टी पर्याप्त है. यहां पर खेती हो रही है, हाइड्रोपोनिक तकनीक वाली फसलों को उन जगहों पर ज्यादा लगा सकते हैं, जहां अच्छी मांग हो और बाजार में मिले. इस खेती में ज्यादातर पत्ती वाली सब्जियां उगायी जाती है.।
हाइड्रोपोनिक तकनीक के फायदे
इस तकनीक के जरिए खेती करने पर कम जगह में ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है। मिट्टी के जरिए खेती में ज्यादा पानी लगता है, लेकिन हाइड्रोपोनिक तकनीक में कम पानी लगता है। इस तकनीक के जरिए की जाने वाली खेती में तेजी से पौधे विकसित होते हैं। इस तकनीक में कम कीटनाशकों का उपयोग होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छी फसलें होती है। इस तकनीक में पानी के जरिए पोषक तत्व पौधों में पहुंचाए जाते हैं, इसलिए पोषक तत्वों से भरपूर उपज होती है।
घटती जोत के कारण बढ़ रहा है हाइड्रोपोनिक का चलन
जानकार बताते हैं कि तेजी से आधुनिकीकरण के कारण बडे़ शहरों में और उनके आसपास खेती की जमीन में कमी देखने मिल रही है. ऐसे में बडे़ शहरों में ताजी सब्जियां उपलब्ध नहीं हो पाती है. कीटनाशकों का भरपूर प्रयोग हो रहा है. ऐसे में लोग चाहें, तो अपने घर पर हाइड्रोपोनिक तकनीक का मॉडल तैयार कर घर पर ताजी सब्जियां उगा सकते हैं. इसमें जिन संसाधन का इस्तेमाल होता है, प्लास्टिक के पाइप या टैंक की फिटिंग कराना थोडा महंगा पड़ता है।
सामान्य खेती की अपेक्षा महंगा है, इसलिए बुंदेलखंड तरफ खेती की जमीन की कमी ना होने के कारण बडे़ शहरों में इसका उपयोग ज्यादा होता है। श्री चौबे बताते हैं कि विभाग का प्रयास है और हमने शासन को प्रस्ताव भेजा है. यदि मंजूर होकर आता है, तो किसानों को अनुदान और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।