कीटव्याधियों के प्रकोप नियंत्रण हेतु किसान भाईयो के लिये समसामिक सलाह
झाबुआ जिले में खरीफ मौसम में 2024 अंतर्गत 189260 हैक्टेयर रकबा लक्षित हो कर बुआई कार्य लगभग सम्पन्न हो चुका है। अद्यतन स्थिति में वर्षा का दौर जारी हों कर 307.08 मि.मी. वर्षा दर्ज की जा चुकी है। फसल स्थिति सामान्य होकर संतोषजनक है। जिला कलेक्टर नेहा मीना के सत्त मार्गदर्शन मे फसलो की स्थिति का जायजा लेने हेतु जिला स्तरीय दल श्री एन.एस. रावत, उप संचालक कृषि जिला झाबुआ के साथ श्री एल.एस. चारेल अनुविभागीय अधिकारी कृषि झाबुआ, श्री हिरासिंह चौहान, श्री संतोष मौर्य, श्री एम.एस. धार्वे सहायक संचालक कृषि एवं संबंधित विकासखण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं मैदानी अमले द्वारा जिले के झाबुआ, रामा विकासखण्डों के विभिन्न ग्रामों जैसे रामा के नानीया-कुंवरा तथा भंवरपिपलिया के लक्ष्मण-लालजी, महेश-लालसिंह, एवं जगदीश बाबू के यहां सोयाबीन फसल तथा ग्राम खेडली के किसान गुला-धनीया के यहां कपास फसल एवं ग्राम गडवाडा के किसान बाबू-भावसिंह, नजरू-वसना एवं मनसुख-पूंजा एवं ग्राम देवझीरीपण्डा के किसान देवला-वसना, लालू-भग्गा के यहा सोयाबीन फसल का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान आंशिक रूप से कीट व्याधी प्रकोप देखा गया खरीफ फसलों में लगने वाले कीटव्याधियों के प्रकोप नियंत्रण हेतु कृषकों के लिए उपयोगी समसामयिक सलाह दी जाती है, जो इस प्रकार है।
जिन किसान भाईयों के खेत में सोयाबीन, उड़द की फसल में पीला मौजेक का प्रकोप देखा गया हो, वह इसके नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही अपने-अपने खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रेप लगाए, जिससे इसका संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी के नियंत्रण में सहायता मिलें। साथ ही पीला मोजेक ग्रसित पौधे को अपने खेत से निकाल कर नष्ट करें। कुछ क्षेत्रों में लगातार हो रही रिमझिम वर्षा की स्थिति में पत्ती खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण हेतु इन्डोक्साकार्ब 333 एम.एल. प्रति हैक्टेयर या लेम्बडा सायहेलोथिन 4.9 सी.एस. 300 एम. एल. प्रति हैक्टेयर का छिडकाव करें। सोयाबीन, कपास की फसल में फफूँद जनित एन्थेकनोज तथा राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक बीमारी का प्रकोप होने पर टेबुकोनेझोल 625 एम.एल. प्रति हैक्टेयर या टेबुकोनेझोल सल्फर 1 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर या हैक्साकोनेझोल 5 प्रतिशत ई.सी. 800 एम.एल. प्रति हैक्टेयर के मान से छिडकाव करें। तम्बाकू की इल्ली एवं पत्ते खाने वाली इल्लियों तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफेद् मक्खी / जैसीड एवं तनाछेदक एवं गर्डलबिटल कीट के एक साथ नियंत्रण हेतु थायोमिथोक्सम 12.6 + लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 9.5 % ZC (125 मि.ली/हैक्टेयर) या बीटासायफ्लूथ्रीन + इमिडाक्लोप्रीड (350 मि.ली / हैक्टेयर) का छिडकाव करें। मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म के नियंत्रण हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. या ईमामेक्टिन बेन्जोएट 5 ई.सी. 04 ग्राम/10 मि.ली. या थायोमेथाक्झम लैम्बाडासायहेलोथ्रिन 0.5 एम.एल. प्रति लीटर पानी में उचित घोल बनाकर छिड़काव करें। कपास की फसल में रस चूषक कीट एफिड का प्रकोप होने पर एसीटामेप्रिड दवा का 10 मिली प्रति स्प्रे पंप के मान से घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी गई है।