टीकमगढ़ l कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के वैज्ञानिकों द्वारा रबी फसलों के विपुल उत्पादन हेतु समसमायिकी सलाह दी जाती रही है। वर्तमान में मटर, मसूर एवं चना में फूल आ रहे हैं, फूल आने की अवस्था में सिंचाई न करें। यदि किसान भाई सिंचाई कर देता है तो फूल झड़ने की समस्या बढ़ जाती है। गेहूं की फसल बाली निकलने वाली अवस्था में है और कुछ निकल रही हैं, इसके खेत में पानी भरकर न रखें। गेहूं की फसल में गमोट अवस्था है, उस फसल में सिंचाई के उपरांत यूरिया 20-25 कि.ग्रा./एकड़ की दर से भुरकाव करें। गेहूं की फसल में बाली निकलते, दुख दुग्धावस्था एवं दाना भरते समय भूमि में नमी की कमी नहीं आना चाहिए। यदि चना फसल में कटवॉर्म कीट की समस्या आ रही हो तो इमामेक्टिन बेंजोएट 100 ग्रा./एकड़ का छिड़काव करें। चने की फसल में फली छेदक कीट नियंत्रण हेतु फेरोमोन प्रपंच/3-4 प्रति एकड़ साथ ही लकड़ी की “ज्” आकर की 20-25 खूटी प्रति एकड़ लगायें।
देर से बोई गई सरसों की फसल में माहू कीट की समस्या देखी जा रही है, यह कीट फूल, फलियों एवं पत्तियों के रस को चूसकर फसल को कमजोर कर देता है, इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 80 मि.ली./एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। उद्यानिकी फलोत्पादन एवं सब्जी उत्पादन में बदल युक्त मौसम रहने पर फूल झड़ने लगते हैं, इसके नियंत्रण के लिए एन.ए.ए. (प्लानोफिक्स) 200 पी.पी.एम. दवा का छिड़काव करें।
आलू की फसल में वर्तमान में पछेती अंगमारी रोग की समस्या देखी जा रही है, इस रोग से पौधों की निचली पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के धब्बे बनते हैं और जल्दी ही भूरे काले रंग में बदल जाते हैं, इसके प्रबंधन हेतु फफूंदनाशक दवा डाइथेन एम. 45 या मेटलैक्सिल व मैनकोज़ेब 2.5 ग्रा./ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। पशुओं को सर्दी से बचाने हेतु सूखी घास को फर्श पर बिछाने का प्रबंधन करें।