विस्तार वानिकी एवं कृषि वानिकी योजना हेतु किसान सम्मेलन एवं कार्यशाला आयोजित
सामाजिक वानिकी वृत्त इंदौर के तत्वाधान में किसानों की विस्तार वानिकी एवं कृषि वानिकी योजनाओं के माध्यम से आय दुगनी करने हेतु गोष्ठी सह कार्यशाला का आयोजन कामदार एग्रोरिसर्च एण्ड डव्लपमेंट के सहयोग से कृषक सहभागिता अनुसंधान फार्म ग्राम मोरोद (मॉचल) में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री पी.सी.दुबे सेवा निवृत्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, एवं श्री नरेन्द्र सनोड़िया, मुख्य वनसंरक्षक वृत्त, इंदौर, सामाजिक वानिकी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री पी.सी.दुबे ने कहा कि कृषि वानिकी से ही पानी नदियों नालों में बढ़ेगा। रोपण हेतु उन्नत तकनीक के वृक्ष किसानों को दिये जाये। साथ ही यह ध्यान दिया जाये कि सामाजिक वानिकी कृषि विभाग से तालमेल बैठाकर कृषि वानिकी के उन्नत पौधों को किसानों को अधिक से अधिक लगवाये जायें। उन्होंने कहा कि सामाजिक वानिकी वृत्तों को अपने सभी वन विस्तार क्षेंत्रों में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने हेतु किसानों को प्रेरित करना चाहिये। कृषि वानिकी में 10 प्रतिशत पौधे किसानों की भूमि पर लगाने से जलवायु में सुधार होगा। किसानों की आय दुगनी होगी।
मुख्य वनसंरक्षक श्री नरेन्द्र कुमार सनोड़िया द्वारा मुख्यमंत्रीजी के जन्म दिवस 05 मार्च के उपलक्ष्य में शिववाटिका प्रत्येक किसान पंचायत, सरकारी कार्यालय एवं आवासों में लगाने हेतु जानकारी दी गई तथा हर्रा, बहेड़ा, आँवला, त्रिफला वन के साथ-साथ त्रिवेणी वाटिका, पंचवटी वाटिका लगाने हेतु कहा गया। कृषकों को निजी भूमि पर उत्पादकता बढ़ाने, आय दुगना करने हेतु अधिक से अधिक वृक्षों के रोपण की चर्चा गोष्ठी में की गई।
रूपई संस्था के संस्थापक श्री गौरीशंकर मुखाती, हरदा, कृषि वानिकी विषेशज्ञ द्वारा आव्हान किया गया कि नर्मदा, क्षिप्रा, चंबल नदियों के किनारे वृक्षारोपण हेतु सभी कृषक आगे आकर अधिक से अधिक पौधे लगायें। ‘‘किसानों की भी होगी भविष्य निधि, तुम मुझे मेढ़ दो में तुम्हें पेड़ दूंगा‘‘ रूपई संस्था द्वारा यह कार्यक्रम विगत दो वर्षो से चलाया जा रहा है। उन्होंने किसानों को हरदा आने का आमंत्रण भी दिया।
वृक्ष मित्र श्री रविन्द्रसिंह समाजसेवी द्वारा किसानों के कृषि वानिकी में सागौन, खमेर, नीम, शीशम के ईमारती वृक्ष मेढ़ों पर लगाने की जानकारी दी गई तथा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने हेतु फलीदार खेती करने जैसे मटर, चना, अरहर, मूंग, उड़द को लगाने से नाईट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु जड़ों में पाये जाने की जानकारी दी गई।
प्रो. सरिता शर्मा द्वारा जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के महत्व की जानकारी दी गई एवं वनों व वृक्षों की पत्तियों से बनने वाले जीवाष्म एवं उससे होने वाले लाभों से किसानों को अवगत कराया गया।
कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में डॉ.विजयसिंह बुदेंला कृषि वैज्ञानिक द्वारा संक्षिप्त में जानकारी दी गई। किसानों की भविष्य की जैविक एवं प्राकृतिक मॉडल खेती पर विचार रखे गये। 60 से 70 गेंहू की प्रजातियों के मॉडल का किसानों को अवलोकन करवाया गया।
श्री डी.पी.सिंह सहायक वनसंरक्षक, सामाजिक वानिकी द्वारा बांस मिशन से किसानों को होने वाली आय के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि बांस एक बहुउपयोगी लाभदायक पौधा है जिसे मेढ़ एवं खेत में लगाकर लगातार 05 वर्ष बाद चालीस वर्ष तक मेड़ पर 85 भिर्रा तीन-तीन मीटर की दूरी पर लगाकर लगभग तीस हजार रू. प्रतिवर्ष कमाया जा सकता है एवं भिर्रो की फेंसिंग से खेत की जानवरों से सुरक्षा भी होती रहेगी। बांस मिशन से प्रति बांस तीन वर्ष तक जीवित रहने पर 60 रूपये प्रथम वर्ष, 36 रूपये द्वितीय वर्ष एवं 24 रूपये तृतीय वर्ष तक अनुदान मिलेगा।