सिद्ध चक्र महामंडल विधान विश्व शांति महायज्ञ में राज्यमंत्री श्री लोधी हुए शामिल

दमोह l जैन धर्म अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत पर चलता है। हमें जियो और जीने दो की परिकल्पना को जीवन में साकार करना पड़ेगा क्योंकि अपने लिए तो सभी जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं, वही केवल जीते हैं, यह स्वामी विवेकानंद जी के वचन है, जिसमें उन्होंने यह परिकल्पना की है कि यदि पूरे विश्व को एक कुटुंब के रूप में हमे ढ़ालना है। क्योंकि हम जिस सनातन धर्म से आते हैं, वह वसुदेव कुटुंबकम की भावना की बात करता है। इस आशय की बात संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने तारादेही में आयोजित कार्यक्रम सिद्ध चक्र महामंडल विधान विश्व शांति महायज्ञ में आये नागरिको के बीच कही।
राज्यमंत्री श्री लोधी ने कहा हमारा धर्म कहता है कि सारा संसार ही हमारा कुटुंब है, सारा संसार ही हमारा परिवार है यह केवल भारतीय संस्कृति की ही विशेषता है, जिसमें कहते हैं सत्य एक है। विद्वान लोग उसकी अलग-अलग प्रकार से व्याख्या करते हैं। कोई किसी रास्ते से जाता है, कोई किसी रास्ते से जाता है, चाहे किसी भी रास्ते से जाये लेकिन पहुंचेंगे उसी परमपिता परमेश्वर तक। सृष्टि के कण-कण में, जर्रे-जर्रे में परमपिता परमेश्वर समाया हुआ है। यह हमारी भारतीय संस्कृति की परिकल्पना है । अनेकता में एकता, यह भारत की विशेषता है।