खरगौन l मक्का फसल में अच्छा उत्पादन लेने के लिए उन्नत किस्मों एवं समन्वित उर्वरक के उपयोग का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। मक्का फसल में अच्छा उत्पादन लेने के लिए बीज किस्मों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। उप संचालक कृषि श्री प्रकाश ठाकुर ने बताया कि जिले में अत्यधिक उत्पादन देने वाली विभिन्न बीज उत्पादक कम्पनियों की 80 से 120 दिन अवधि वाली संकर किस्में पंजीकृत निजी विक्रेताओं के पास उपलब्ध है। जिन्हे कृषक अपनी भूमि की स्थिति अनुसार मक्का बीज किस्मों का चयन कर बुवाई कर सकते है। साथ ही मक्का में उचित उत्पादन लेने के लिए उर्वरकों का समन्वित उपयोग भी उत्पादन बढाने में सहयोग करता है। मक्का फसल के लिए प्रति हैक्टेयर 260 किग्रा यूरिया, 375 किग्रा सिंगल सूपर फॉस्फेट, 50 किग्रा पोटाश का उपयोग या 190 किग्रा 12ः32ः16, 210 किग्रा यूरिया प्रति हैक्टेयर या 200 किग्रा 16ः16ः16, 190 किग्रा यूरिया एवं 175 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग करें। साथ ही हर तीसरे वर्ष जिंक सल्फेट 20-25 किग्राम प्रति हैक्टेयर उपयोग करने से उत्पादन में 5-10 प्रतिशत वृद्धि कर सकते है।           

   उप संचालक श्री ठाकुर ने किसानों को सलाह दी है कि फसलों में संतुलित उर्वरक प्रबंधन के लिए एनपीके मिश्रित उर्वरकों का उपयोग करे, जिसमें तीनों प्रमुख पौषक तत्व की पूर्ति एक साथ हो जाती है। इसके साथ ही अन्य सूक्ष्म पौषक तत्वों की उपलब्धता में भी वृद्धि होती है। यूरिया एवं डीएपी उर्वरकों के विकल्प के रूप में नैनों यूरिया एवं नैनों डी.ए.पी. का उपयोग कर सकते है, जिनका पर्णिय छिडकाव होने से मृदा की भौतिक दशा पर भी विपरीत प्रभाव नही पड़ता है।