इंदौर l अंतर्राष्ट्रीय कपास दिवस प्रतिवर्ष 7 अक्टूबर को मनाया जाता हैजिसका उद्देश्य कपास उद्योग के महत्व को बढ़ावा देना और कपास उत्पादक देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना है। यह दिवस कपास के क्षेत्र में स्थायित्व और समानता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता हैजिससे कपास उत्पादकों की आय में वृद्धि हो और उनके जीवन स्तर में सुधार हो। कपास फसल उत्पादन का महत्व इस प्रकार भी है कि कपास को "सफेद सोना" कहा जाता हैक्योंकि यह किसानों और देश की अर्थव्यवस्था दोनों के लिए बहुत मूल्यवान है। भारत का दुनिया के कपास उत्पादक देशों की श्रेणी में विशेष स्थान है। कपास भारत देश की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। भारत हजारों वर्षों से वस्त्रों के लिए कपास का उत्पादन कर रहा हैऔर आजकपास उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों के साथलगभग 5.8 लाख किसान कपास उगाने से जीवन यापन करते हैं। कपास की खेती लगभग 80 देशों में की जाती हैऔर दुनिया भर में करीब 100 मिलियन से ज़्यादा परिवार सीधे तौर पर इसकी खेती जुड़े और यह फसल उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है।

*भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्य*

      भारत में महाराष्ट्र देश में कपास उत्पादन में अग्रणी राज्य है। गुजरात कपास उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। मध्य प्रदेश में कपास की खेती के लिए पश्चिम निमाड़ क्षेत्र उपयुक्त है। देश के पंजाबहरियाणा और राजस्थान सहित कई अन्य कपास उत्पादक राज्य हैं। भारत में कपास की खेती लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर की जाती हैजो देश की कुल भूमि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कपास के उत्पादन से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होता हैबल्कि यह देश के वस्त्र उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है।

*कपास फसल और अनुकूल जलवायु*

      भारत में कपास उत्पादन एक महत्वपूर्ण नकदी फसल हैजो देश के कई राज्यों में उगाई जाती है। कपास की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक कारकों में जलवायुमिट्टी और वर्षा की अनुकूलता है। 21 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान और 75 से 100 सेंटीमीटर वर्षा कपास फसल उत्पादन को अनुकूलता प्रदान करती है। काली और रेतीली मिट्टी इस फसल के उत्पादन को बढ़ोतरी देने के लिए आवश्यक होती है। देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में कपास उत्पादन के अनुकूलता है। 

कपास की खेती अर्थव्यवस्था की रीढ़ है*

      कपास फसल उत्पादन का महत्व बहुत अधिक हैखासकर भारत जैसे देश में जहां कपास एक प्रमुख नकदी फसल है। कपास की खेती अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।  कपास की खेती से किसानों की आय में वृद्धि होती हैजिससे उनका जीवन स्तर में सुधार होता हैक्योंकि यह फसल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान रखती है। कपास की फसल सफेद सोने की पहचान के साथ-साथ एक मूल्यवान फसल है जिससे रुई तैयार की जाती हैजिसका उपयोग वस्त्र उद्योग में किया जाता है। कपास से बने कपड़े भारतीय वस्त्र उद्योग को मजबूती प्रदान करते हैं। कपास और कपास उत्पादों का निर्यात भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है। कपास की खेती से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और व्यापारियों दोनों एक-दूसरे से कड़ी के रूप में जुड़े हुए है। कपास की खेती से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होती हैजिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास होता हैजिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। कपास की खेती से तेल भी प्राप्त होता हैजो खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कपास निर्यात से विदेशी मुद्रा आय प्राप्त होती हैजो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है।

*इंदौर संभाग में कपास फसल की बोवनी का क्षेत्रफल बताता है इसकी उन्नती की स्थिति*

      मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने तथा कपास उत्पादन के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। इन्दौर संभाग में बसा निमाड़ अंचलयहां कपास की फसल के लिए पर्याप्त अनुकूलता है। यह क्षेत्र प्रमुख कपास उत्पादक है। निमाड़ क्षेत्र में लंबे रेशे वालीमध्य रेशे वाली और छोटे रेशे वाली कपास की किस्में उगाई जाती हैं। कपास की खेती से निमाड़ क्षेत्र में रोजगार और यहां कि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। कृषि विभाग के संयुक्त संचालक इन्दौर श्री आलोक मीणा बताते है कि खरीफ फसल वर्ष 2024 में इन्दौर संभाग के 7 जिले में 544.968 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास की फसल लगाई गई। इसमें खरगोन जिले में 216.890 हेक्टेयरधार जिले में 109.300 हेक्टेयरबडवानी जिले में 79.148 हेक्टेयरखंडवा जिले में 61.500 हेक्टेयरबुरहानपुर जिले में 30 हेक्टेयरझाबुआ जिले में 27.950 हेक्टेयरअलीराजपुर जिले में 20.120 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास की फसल लगाई गई। इन्दौर संभाग के निमाड़ मालवा क्षेत्र के जिलों में कपास उत्पादन हेतु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें प्रमुख रूप से खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन एवं धार प्रमुख है। झाबुआ और अलीराजपुर के क्षेत्र में कपास उत्पादन लिया जा रहा है, जो कि कपास उत्पादन के प्रति कृषकों की रूचि को दर्शाता है।