नरवाई प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों सुपरसीडर या हैप्पीसीडर से बुवाई करें
उमरिया l फसलों की कटाई के बाद उनके जो अवशेष खेत में रह जाते हैं, उसे नरवाई या पराली कहते हैं।मशीनो से फसल की कटाई होने पर बड़ी मात्रा में नरवाई खेत मे ंरहती है, इसको हटाने के लिए किसान प्रायः इसे जला देते हैं। इससे खेत की माटी की उपरी परत में रहने वाले फसलों के लिए उपयोगी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी में कड़ापन आ जाता है और इसकी जलधारण क्षमता बहुत कम हो जाती है। किसान नरवाई प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें। इन उपकरणों के उपयोग से नरवाई को नष्ट करके खाद बना दिया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। नरवाई जलाने से मिट्टी को होने वाले नुकसान और धुएं से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है। किसान धान तथा अन्य फसलों की नरवाई खेत से हटाने के लिए सुपरसीडर और हैप्पीसीडर का उपयोग करें। ये उपकरण किसी भी ट्रैक्टर जो 50 एच पी के हों उसमे ंआसानी से फिट हो जाते हैं। इनके उपयोग से एक ही बार मे ंनरवाई नष्ट होने के साथ-साथ खेत की जुताई और बुवाई हो जाती है। इससे जुताई का खर्च और समय दोनों की बचत होती है।इसके अलावा किसान ट्रैक्टर में स्ट्राबेलर का उपयोग करके नरवाई को खाद में बदल सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, उमरिया और कृषि आभियांत्रिकी विभाग, उमरिया के संयुक्त तत्वाधान में ग्राम कछरवार में सुपरसीडर द्वारा गेहू की फसल की बुवाई की गई। कृषि विज्ञानं केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एव ंप्रमुख डा के पी तिवारी बताया की धान के फसल यदि हार्वेस्टर से की जाती है तो खेत मे ंफसल के अवशेष रह जाते हैं जिनकी सफाई के बिना बुवाई करना बहुत बड़ी चुनौती रहती है , लेकिन सुपरसीडर एक ऐसी मशीन है जो बिना सफाई के आसानी से गेहू या चना की बुवाई कर सकती है। नरवाई जलाने से मिट्टी में उत्पन्न होने ेवाले कार्बनिक पदार्थ में कमी आ जाती है। सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, जिसके फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।भूमि की ऊपरी परत मे ंही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है।आग लगाने के कारण ये पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। बुवाई के दौरान करीब 25 किसान उपस्थित थे। सहायक यंत्री कृषि आभियांत्रिकी श्रीमती मेघा पाटिल द्वारा सुपरसीडर पर मिलाने वाली छूट के बारे में बताया की यह मशीन 3 लाख रूपये की आती है जिसमे 1 लाख 5 हजार की छूट मिलती है। सुपर सीडर एक साथ तीन काम करती है जिससे हार्वेस्टर के बाद बचे फसल अवशेष को बारीक काटकर मिटटी मे ंमिला देता है जिससे मिटटी मे ंकार्बन कंटेंट बढ़ेगा। मिटटी उपजाऊ होगी और खेत मे ंकटाई उपरांत तुरंत बोनी का कार्य हो जायेगा। कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया के वैज्ञानिक डा धनंजय सिंह ने बताया की फसल अवशेषों को ेजलाने की बजाय उनको वापस भूमि मे ंमिला देने से कई लाभ होते हैं।जैसे कि कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता मे ंवृद्धि, पोषक तत्वो ंकी उपलब्धता मे ंवृद्धि, मृदा भौतिकगुणों के सुधार होते हैं। फसल उत्पादकता में वृद्धि आती है। खेतो मे ंनरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने मे ंकरें। नरवाई से कार्बनिक पदार्थ भूमि में जाकर मृदा पर्यावरण में सुधारकर सूक्ष्म जीवी अभिक्रियाओ ंको उत्प्रेरित करते हैं।जिससे कृषि टिकाऊ रहने के साथ-साथ उत्पादन मे ंवृद्धि होती है।