खंडवा l पर्यावरण सुरक्षा हेतु नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम,1981 अन्तर्गत जिले में गेहूँ एवं अन्य फसलों की कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतो में जलाये जाने को प्रतिबंधित किया गया है। इस हेतु जिला एवं विकासखंड स्तरीय विभागीय मैदानी अमले का दल बनाकर कर्तव्यस्थ किया गया है। उपसंचालक कृषि श्री के सी वास्केल ने बताया कि ग्रामों में सार्वजनिक स्थान पर आदेश चस्पा कर,पम्पलेट वितरण एवं ग्रामों में मुनादी करवाकर किसानों को फसल अवशेष खेतों में न जलाये जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति/निकाय द्वारा निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि सम्बंधित व्यक्ति/निकाय से रुपये 2500 से रुपये 15000 तक दंडस्वरूप वसूल किये जाने का प्रावधान है।

     उपसंचालक कृषि श्री वास्केल ने बताया कि 25 फरवरी को विकासखंड स्तरीय विभागीय मैदानी कृषि विस्तार अधिकारी श्री आकाश चौहान को सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम अटूटखास में कृषक श्री पुष्पराज सिंह पिता जयपाल सिंह निवासी सनावद के खेत में गन्ना फसल कटाई के पश्चात् फसल अवशेषों को जलाया जा रहा है। सम्बंधित विकासखंड स्तरीय विभागीय मैदानी अमले द्वारा मौके पर पहुंचकर उनके मजदूर पप्पू पिता शंकर द्वारा जलाये जा रहे फसल अवशेषों का पंचनामा बनाकर नायब तहसीलदार टप्पा मोहना को कार्यवाही हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया।

      उपसंचालक कृषि श्री वास्केल ने बताया कि नायब तहसीलदार टप्पा मोहना द्वारा कृषक श्री पुष्पराज सिंह पिता जयपाल सिंह निवासी सनावद को खेत ग्राम अटूटखास में गन्ना फसल कटाई के पश्चात् फसल अवशेषों को जलाने के कारण वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम, 1981 के अंतर्गत 5 एकड़ से अधिक भूमि होने पर नरवाई जलने के लिए पर्यावरण क्षति के रूप में राशि रुपये 15000 दंडस्वरूप वसूल किया गया है। उप संचालक कृषि श्री वास्केल द्वारा जिले के समस्त कृषक बंधुओं से अपील की गई है कि गेहूँ, मक्का एवं गन्ना फसलों की कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में न जलायें।प्रावधान अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि सम्बंधित कृषक से 2 एकड़ भूमि तक राशि रुपये 2500 , 2 से 5 एकड़ भूमि तक राशि रुपये 5000 एवं 5 एकड़ से अधिक भूमि पर राशि रुपये 15000 तक दंडस्वरूप वसूल किया जा सकता है।