डिंडौरी l कृषि विभाग द्वारा किसानों के हित में सूचना जारी कर बताया गया कि नैनो उर्वरक (नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी.) अत्याधिक कुशल उर्वरक है, जो सूक्ष्म कणों के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रदाय करते हैं। पारंपरिक रासायनिक उर्वरक डी.ए.पी. एवं यूरिया के स्थान पर तरल नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. का उपयोग करना अधिक लाभदायक है। दोनों में तुलान्तमक जानकारी दी गई की पारंपरिक रासायनिक उर्वरक (यूरिया एवं डी.ए.पी.) में पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों की दक्षता 25 प्रतिशत है। 1 बोरी पारंपरिक रासायनिक उर्वरक में दर अनुसार यूरिया-266.5 रू0 प्रति 45 कि.ग्रा. डी.ए.पी.- 1350 रू0 प्रति 50 कि.ग्रा., व्यय में यूरिया 533 रूपये प्रति 90 कि.ग्रा.प्रति एकड़, यूरिया एकड और डी.ए.पी. 1350 रूपये प्रति 50 कि.ग्गा. प्रति एकड़ है, जबकि नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी.  में नैनो उर्वरकों का दक्षता 85-90 प्रतिशत है। नैनो उर्वरक 500 मि.ली. की (एक बोतल) होती है, जिसमें नैनो यूरिया का व्यय दर 240 रू० प्रति 500 एम.एल. प्रति एकड़ नैनो डी.ए.पी. 600 रू० प्रत्ति 500 एम.एल. प्रति एकड़ है। अतः तुलात्मक दृष्टि से भी नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. अधिक उपयोगी और फायदेमंद है।   

         कृषि विभाग द्वारा नैनो उर्वरक के उपयोग की विधि बताया गया कि इस उर्वरक को 2-4 मि.ली./लीटर पानी का घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करें, इसका उपयोग सभी प्रकार के फसलो पर किया जा सकता है। पहला छिड़काव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद एवं दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 20-25 दिन बाद करें। नैनो उर्वरक फसल की उपज की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाता है एवं फसल उत्पादकता में वृद्धि और लागत में कमी करके किसानों की आय में वृद्धि करता है। साथ ही पर्यावरण के लिए पूर्णतः सुरक्षित है।