विदिशा l नैनो तकनीक आधारित नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी कृषि में लागत कम करने व लाभ के दृष्टिकोण से उपयुक्त है की जानकारी देते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री केएस खपेड़िया ने बताया कि एक बोतल 500 मि.ली. नैनो यूरिया प्लस में एक बोरी यूरिया के बराबर ताकत होती है। इसी तरह नैनो डीएपी की एक बोतल में एक बोरी दानेदार डीएपी के बराबर पौषक तत्व पाये जाते हैं। नैनो यूरिया प्लस 4 मि.ली. प्रति लीटर पानी अथवा 500 मि.ली. की एक बोतल प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर फसलों की वनस्पतिक अवस्था (कल्लेध्शाखा बनते समय) एवं फूल निकलने से पहले वाली अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए। इसके प्रयोग से दानेदार यूरिया की मात्रा को 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। नैनो डीएपी का उपयोग बीज उपचारजड़ उपचार एवं पर्णीय छिड़काव के रूप में किया जा सकता है। नैनो डीएपी से बीज उपचार 5 मि.ली. प्रति किलो ग्राम बीज की दर से करे

एवं उपचारित बीजों को 20 से 30 मिनट तक छाव में सुखाने के उपरांत ही बुवाई करे।

      उपसंचालक श्री खपेड़िया ने बताया कि धान में जड़ उपचार के लिए 5 मि.ली. नैनो डी.ए.पी. प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर जड़ को 20 से 30 मिनट तक घोल में डुबोयें रखें फिर छाव में सुखाने के उपरांत रोपाई करें। नैनो डी.ए.पी. का पर्णीय उपचार 4 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों की वनस्पतिक अवस्था (कल्लेध् शाखा बनते समय) या फूल निकलने से पहले वाली अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए। नैनो डीएपी के प्रयोग से दानेदार डीएपी की मात्रा को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। नैनो डीएपी से बीज एवं जड़ उपचार करने पर बीज अंकुरण में वृद्धि एंव जड़ क्षेत्र का अधिक

विकास होता है। नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का प्रयोग सभी फसलों में किया जा सकता है।

     नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डी.ए.पी. का पर्णीय छिड़काव फसल की बुवाई के 35 दिन के बाद ही

करना चाहिए। इनके प्रयोग से मृद्रा स्वास्थ्य में सुधार होने के साथ ही जल एवं वायु प्रदुषण में कमी होती है। इसके प्रयोग से कीट एवं रोध के प्रकोप में भी कमी होती है तथा फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

    अतः किसानों से अपील की जाती है कि नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डी. ए. पी. का अधिक से

अधिक मात्रा में उपयोग कर फसल उत्पादन लागत में कमी लाएं।