बड़वानी /हरित क्रांति के साथ ही रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग बहुतायत में बढ़ा है। इससे फसल के उत्पादन मे ंतो वृद्धि हुई है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत घातक हुए। इसने भूमि की उर्वरा शक्ति पर घातक असर डाला और फसलों तथा अन्य कृषिगत उत्पादनों को विषैला बना दिया है। इसके स्थान पर जैविक खेती को अपनाया जाना अनिवार्य है। यह भूमि, मानव, पशु-पक्षी, वनस्पतियों आदि के अस्तित्व की रक्षा का आधार है। ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वोकेशनल कोर्स जैविक खेती की प्रतिभाशाली छात्रा और युवा प्रस्तोता शिल्पा नामदेव ने कहीं। यह आयोजन ्रपाचार्य डॉ. दिनेश वर्मा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि इस समय कॅरियर सेल के साथ सात सौ से अधिक विद्यार्थी जैविक खेती का अध्ययन कर रहे हैं। इन विद्यार्थियों को जैविक खेती के प्रत्येक पहलु से परिचित करवाया जा रहा है। इसी के अंतर्गत शिल्पा नामदेव ने जैविक खेती का अर्थ, विशेषताएं, महत्व, सिद्धांत, मृदा नमूनाकरण, मृदा पीएच का निर्धारण, नर्सरी और क्यारी निर्माण, फसल के लिए आवश्यक सत्रह पोषक तत्व, कीट और कवक प्रभावित पौधे, स्वस्थ पौधे, जैविक उर्वरक एवं जैविक कीटनाशक, खेत का दौरा करके फसलों का अवलोकन करना, कार्बनिक कार्बन सामग्री का महत्व, डस्टर और स्पेयर के उपयोग अदि पर प्रस्तुति दी। संचालन वर्षा मुजाल्दे ने किया। सहयोग वर्षा मालवीया, बादल धनगर, अरविन्द सोलंकी, अंनिल मंडलोई, नागरसिंह डावर, डॉ. मधुसूदन चौबे आदि ने दिया।