श्योपुर  कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल द्वारा क्षेत्र के किसानों से डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक उपयोग किये जाने की अपील की गई है। उन्होने कहा कि डीएपी से नाईट्रोजन और फासफोरस की पूर्ति होती है, जबकि एनपीके में नाईट्रोजन, पोटाश एवं फासफोरस होता है। किसान एनपीके का उपयोग कर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त कर सकते है।

उन्होने कहा कि एनपीके 12ः32ः16 और 16ः16ः16 उर्वरकों से फसलों में मुख्य पोषक तत्व नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश तत्व की पूर्ति होती है। इसी प्रकार 20ः20ः0ः13 से नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं सल्फर की पूर्ति होती है। डीएपी से केवल दो तत्व नत्रजन एवं फास्फोरस ही मिलते हैं। डीएपी से पोटाश तत्व की पूर्ति नहीं होती है। इसके अलावा सिंगल सुपर फास्फेट जिसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत सल्फर एवं 21 प्रतिशत कैल्शियम पाया जाता है। इसके उपयोग से फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है। जिले में रबी 2024 में मुख्य फसल गेहूं, सरसो है। इसके लिए एनपीके उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है। उन्होने बताया कि वर्तमान में डीएपी और एनपीके उर्वरक की 5 हजार 27 मैट्रिक टन उपलब्धता है तथा शिवपुरी में लगी रेक से 450 मैट्रिक टन डीएपी तथा रायरू से 450 मैट्रिक टन एनपीके ओर आने वाला है। कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल ने क्षेत्र के किसान भाईयों से अपील की है कि एनपीके का अधिक से अधिक उपयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है।